नई दिल्ली ।। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने शुक्रवार को कहा कि सूचना के अधिकार (आरटीआई) का विपरीत असर कामकाज पर नहीं होना चाहिए।

सूचना आयुक्तों के छठे वार्षिक सम्मेलन को सम्बोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि इस बात को लेकर चिंता व्यक्त की जा रही है कि आरटीआई से ईमानदार और पूरी जानकारी देने वाले लोक सेवक हतोत्साहित हो सकते हैं।

उन्होंने कहा, “मैं समझता हूं कि हमें यह याद रखने की आवश्यकता है कि किसी भी विचार को सार्वजनिक जांच और चर्चा में एकतरफा ढंग से लाने पर उसकी विकृत या अधूरी तस्वीर सामने आ सकती है, जो वास्तव में अंतिम निर्णय लेने की प्रक्रिया में अपनाई गई हो।”

प्रधानमंत्री ने कहा, “आरटीआई को सरकारी कामकाज पर विपरीत असर नहीं डालना चाहिए। बड़े पैमाने पर लोगों के हितों और इसमें परिवर्तन की आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए हमें इस अधिनियम में छूट की धाराओं पर भी एक दृष्टि डालनी चाहिए।”

उन्होंने कहा कि ऐसी स्थिति की अपेक्षा नहीं की जाती, जिसमें सरकारी प्रतिष्ठानों के पास ऐसी सूचनाओं के लिए आवेदनों की भरमार हो, जो सार्वजनिक हित में न हो।

प्रधानमंत्री के अनुसार, “हमें इस पर विचार करने की आवश्यकता है कि जनहित में मांगी जाने वाली सूचनाओं और निर्थक जानकारियों के आवेदन से एक साथ कैसे निपटा जाए।”

उन्होंने सूचनाओं को सार्वजनिक करने और सरकारी प्राधिकरणों के पास सीमित समय तथा संसाधानों की उपलब्धता के बीच संतुलन स्थापित करने की आवश्यकता भी जताई।

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