भोपाल ।। बुंदेलखण्ड के लिए केंद्र सरकार द्वारा मंजूर किए गए पैकेज पर अमल सुस्त रफ्तार से चल रहा है। एक तरफ जहां राशि मंजूर किए जाने की रफ्तार धीमी है वहीं दूसरी ओर उसके उपयोग की गति उससे भी धीमी है।

बीते तीन वर्षो में मध्य प्रदेश को पैकेज की लगभग 25 फीसदी राशि अर्थात 1060 करोड़ रुपये का आवंटन किया गया है, जबकि इसमें से 600 करोड़ रुपये ही विकास कार्यो पर खर्च किए जा सके हैं। 

बुंदेलखण्ड में पैकेज के क्रियान्वयन पर नजर रखने वाले ‘राष्ट्रीय रेनशेड एरिया प्राधिकरण’ के प्रमुख जे. एस. सामरा की ओर से जारी रिपोर्ट इन चीजों का जिक्र किया गया है। यह प्राधिकरण योजना आयोग के अधीन काम करता है।

मध्य प्रदेश व उत्तर प्रदेश में फैले बुंदेलखण्ड में कुल 13 जिले आते हैं। इस क्षेत्र के विकास के लिए केंद्र सरकार ने 7466 करोड़ रुपये देने का फैसला लिया है। 

इस इलाके में उत्तर प्रदेश के जहां सात जिले हैं और उसके हिस्से में पैकेज से 3606 करोड़ रुपये आए हैं। वहीं मध्य प्रदेश के छह जिले सागर, दमोह, छतरपुर, टीकमगढ़, पन्ना व दतिया बुंदेलखण्ड में हैं और पैकेज में इस इलाके के हिस्से में 3860 करोड़ रुपये आए हैं। 

बुंदेलखण्ड पैकेज की राशि से पशुपालन, दुग्ध उत्पादन, कृषि विकास, वाटरशेड, जल परियोजनाओं को विकसित करना है। ऐसा करने के पीछे का मकसद इस इलाके की आर्थिक स्थिति में सुधार के साथ रोजगार के अवसर मुहैया कराना है। पैकेज की घोषणा तथा राशि आवंटन का सिलसिला शुरू हुए तीन वर्ष हो गए है। वर्ष 2009 से 2011 तक मध्य प्रदेश के बुंदेलखण्ड को अब तक सिर्फ 1060 करोड़ रुपये ही मिले हैं। अर्थात कुल राशि का लगभग 25 फीसदी हिस्सा ही मध्य प्रदेश के हाथ आया है। 

बुंदेलखण्ड पैकेज पर नजर रख रहे अमले के आंकड़े बताते है कि बीते तीन वर्षो में मिली राशि में से मध्य प्रदेश सरकार 30 जुलाई 2011 तक सिर्फ 418 करोड़ रुपये ही खर्च कर पाई है। यह बात अलग है कि राज्य सरकार द्वारा प्रस्तावित योजनाओं के लिए 1953 करोड़ की मांग की गई है जिसमें से 1060 करोड़ रुपये ही मंजूर किए गए हैं। 

मध्य प्रदेश योजना आयोग के उपाध्यक्ष बाबू लाल जैन ने आईएएनएस से चर्चा करते हुए बताया कि बुंदेलखण्ड पैकेज के तहत राशि मंजूर किए जाने की गति धीमी है। वह बताते हैं कि वैसे पैकेज की सीमा मार्च 2012 तक ही है, ऐसे में इसे और आगे बढ़ाया जाना लगभग तय है। राज्य में आवंटित राशि को खर्च करने के सवाल पर जैन कहते हैं कि उनका जोर विशेष तौर पर कार्य की गुणवत्ता व महत्ता पर है, इसलिए यह गति कुछ धीमी हो सकती है।

राशि खर्च करने के मामले मे जैन केंद्र सरकार के आंकड़ों को कुछ पुराना बताते हुए कहते हैं कि राज्य में स्वीकृत राशि से लगभग 60 फीसदी अर्थात 600 करोड़ रुपये के कार्य कराए जा चुके है। प्रदेश सरकार तथा उनकी कोशिश है कि पैकेज का बेहतर व क्षेत्र की जरुरत के मुताबिक उपयोग किया जा सके।

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