नई दिल्ली ।। पेट्रोल मूल्यवृद्धि पर विपक्ष और सत्तारूढ़ गठबंधन के कुछ घटक दलों ने शुक्रवार को केंद्र सरकार को जमकर कोसा। खासकर तृणमूल कांग्रेस ने कड़ा तेवर दिखाते हुए यह आरोप लगाया कि बड़े फैसले लेते समय कांग्रेस उससे पूछती तक नहीं है।

मुख्य विपक्षी दल भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) व वाम दलों ने जहां तीखी टिप्पणी की, वहीं पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री एवं तृणमूल कांग्रेस की अध्यक्ष ममता बनर्जी ने केंद्र सरकार से अलग होने की चेतावनी दी।

सत्तारूढ़ संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) की अन्य घटक राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा), द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (डीएमके) तथा नेशनल कांफ्रेंस ने भी संयत स्वर में ही सही, केंद्र सरकार की आलोचना से नहीं चूकी।

ज्ञात हो कि गुरुवार की मध्यरात्रि से पेट्रोल के मूल्य में एक बार फिर 1.80 रुपये प्रति लीटर की वृद्धि कर दी गई। केंद्रीय वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी ने सरकार का बचाव करते हुए कहा है कि मूल्यवृद्धि का फैसला सरकार ने नहीं, बल्कि तेल कम्पनियों ने लिया है।

सत्तारूढ़ गठबंधन में दूसरा सबसे बड़ा घटक दल तृणमूल कांग्रेस के 18 सांसद हैं। पार्टी ने केंद्र सरकार पर बार-बार एकतरफा निर्णय लेकर पेट्रोल एवं कोयले की कीमतों में वृद्धि करने का आरोप लगाते हुए सरकार से अलग होने की चेतावनी दी है। ममता बनर्जी इस मामले में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के स्वदेश लौटने का इंतजार करना चाहती हैं, जो इस वक्त जी-20 सम्मेलन में भाग लेने के लिए फ्रांस के कान शहर में हैं।

उन्होंने प्रधानमंत्री से स्वदेश लौटने के बाद मुलाकात का अनुरोध भी किया है। इस बीच, केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री आनंद शर्मा ने कहा है कि वह पेट्रोल की बढ़ती कीमतों पर ममता की चिंताओं से प्रधानमंत्री और संप्रग अध्यक्ष सोनिया गांधी को अवगत कराएंगे।

संप्रग में शामिल डीएमके के नेता टी.आर. बालू ने एक बयान जारी कर पेट्रोल उपभोक्ताओं को ‘राहत’ देने की मांग की। वहीं नेशनल कांफ्रेंस के नेता एवं केंद्रीय मंत्री फारूक अब्दुल्ला ने कहा कि मूल्यवृद्धि बहुत हो चुकी है, सरकार को ऐसे फैसले लेते समय अधिक सतर्क रहने की जरूरत है।

विपक्षी भाजपा ने कहा कि प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह एवं संप्रग अध्यक्ष सोनिया गांधी की बिना स्वीकृति के इतना बड़ा कदम नहीं उठाया जा सकता। मूल्यवृद्धि में इन दोनों की सहमति है।

भाजपा नेता एवं पूर्व वित्त मंत्री यशवंत सिन्हा ने कहा, “कम्पनियां सरकार की हैं और उसके द्वारा नियंत्रित होती हैं। इसलिए सारी जिम्मेदारी सरकार, प्रधानमंत्री एवं सोनिया गांधी की है।.. यह उनकी अनुमति के बिना नहीं हो सकता था।”

उन्होंने कहा, “यह मध्य रात्रि में की गई बर्बरता है। और वह भी उस समय जब खाद्य महंगाई दर के आंकड़े तेजी से बढ़े हैं। इससे यही निष्कर्ष निकलता है कि सरकार पूरी तरह असंवेदनशील है।”

सिन्हा ने अन्य देशों से पेट्रोल मूल्यों की तुलना करते हुए कहा, “प्रमुख पड़ोसी देशों में पेट्रोल की कीमतें कम हैं। पेट्रोल की प्रति लीटर कीमतें पाकिस्तान में 41.81, श्रीलंका में 50.30 रुपये एवं बांग्लादेश में 44.80 रुपये है।” उन्होंने कहा कि अमेरिका में यह 42.82 रुपये प्रति लीटर है।

मार्क्‍सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) ने एक बयान में कहा, “संप्रग सरकार ने फिर से लोगों की दशा पर स्तब्धकारी कठोरता का परिचय दिया है। जिस दिन मूल्यवृद्धि की घोषणा हुई उसी दिन खाद्य महंगाई दर 12.21 फीसदी हो गई।”

बयान में कहा गया, “बाजार द्वारा तेल कीमतों के निर्धारण की झूठी बात का भंडाफोड़ हो गया है, क्योंकि फिलहाल अंतर्राष्ट्रीय बाजार में तेल की कीमतें अत्यधिक गिर चुकी हैं।”

उधर, केरल में माकपा से सम्बंधित छात्र एवं युवा संगठनों ने पेट्रोल की कीमत में वृद्धि के विरोध में शुक्रवार को राज्यभर में प्रदर्शन किए तो दूसरी तरफ विधानसभा में पूर्व वित्त मंत्री थामस इसाक ने इस मुद्दे पर कार्यस्थगन प्रस्ताव के लिए नोटिस दिया। वाम दल समर्थित मोटर कर्मचारी संघों ने भी शनिवार को राज्य स्तर पर हड़ताल का आह्वान किया है।

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