वाशिंगटन ।। सिखों का पवित्र शहर अमृतसर, नवगठित हरित तीर्थयात्रा नेटवर्क से जुड़ने वाला दक्षिण एशिया का पहला सदस्य शहर है। इस नेटवर्क ने तीर्थ शहरों को हरित शहरों में परिवर्तित करने के लिए कई सारे कदम उठाने का संकल्प लिया है।

इटली के असीसी में इस नेटवर्क के पहले सम्मेलन में जिन कदमों को उठाए जाने पर सहमति बनी है, उनमें तीर्थ मार्गो पर कारों के आवागमन पर प्रतिबंध, गिरिजाघर की छतों पर सौर पैनल, तीर्थ यात्रियों के लिए स्वच्छ व ताजा जल का प्रबंध, तथा पवित्र शहरों के चारों ओर हजारों की संख्या में पेड़ लगाना शामिल हैं।

वाशिंगटन स्थित संस्था, इकोसिख के अनुसार, शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (एसजीपीसी) के सचिव दलमेघ सिंह ने अमृतसर के प्रतिनिधि के रूप में इस नेटवर्क से जुड़ने का प्रमाण पत्र ग्रहण किया।

पंजाब प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (पीपीसीबी) के अध्यक्ष के.एस. पन्नू, इकोसिख के अध्यक्ष राजवंत सिंह और इकोसिख इंडिया के परियोजना प्रबंधक रवनीत पाल सिंह भी अन्य सिख प्रतिनिधियों के रूप में वहां उपस्थित थे।

स्वर्ण मंदिर और एसजीपीसी व अमृतसर शहर द्वारा किए गए पर्यावरण सम्बंधी पहलों पर राजवंत सिंह और रवनीत पाल सिंह द्वारा एक प्रस्तुतिकरण में पौधरोपण अभियान, सौर ऊर्जा उपयोग और भावी जल पुनर्चक्रण कार्यक्रमों को शामिल किया गया।

स्वर्ण मंदिर में हजारों तीर्थयात्रियों के लिए लंगर (भोजन) तैयार करने, उसके वितरण और पर्यावरणअनुकूल साफ-सफाई पर आधारित एक फिल्म का भी प्रदर्शन किया गया।

दुनिया भर से आए कई प्रतिनिधियों के लिए सिखों के पारम्परिक लंगर (मुफ्त भोजन), और पर्यावरण संरक्षण पर सिखों की सक्रियता से परिचित होने का यह पहला मौका था।

दलमेघ सिंह ने कहा, “एसजीपीसी अमृतसर शहर को यथासम्भव पर्यावरण अनुकूल बनाने में भागीदार होना चाहता है। हम पहले ही पर्यावरण जागरूकता और संरक्षण पर काफी संसाधन लगा चुके हैं।”

राजवंत सिंह ने कहा, “अमृतसर को हरित शहर बनाने के लिए धार्मिक क्षेत्र, नागरिक समाज और सरकार के बीच परस्पर समन्वय की जरूरत होगी। हमें आशा है कि यह क्रियान्वयन तेजी के साथ होगा और पंजाब सरकार इसके लिए आगे आएगी।”

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