नई दिल्ली ।। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने शुक्रवार को तमिलनाडु से आए एक बहुदलीय शिष्टमंडल को भरोसा दिलाया कि सरकार कुंडनकुलम परमाणु बिजली संयंत्र से जुड़े सुरक्षा चिंताओं को दूर करने के लिए विशेषज्ञों की एक समिति गठित करेगी।

प्रधानमंत्री ने महत्वपूर्ण परमाणु परियोजना को प्रभावी बनाने के लिए मुख्यमंत्री जे. जयललिता के सहयोग की भी मांग की।

परमाणु ऊर्जा को देश की जरूरत बताते हुए मनमोहन सिंह ने जयललिता को लिखा, “एक विशाल एवं तेज गति से विकास कर रही हमारी अर्थव्यवस्था के लिए और अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा बाजार की अनिश्चितता और अस्थिरता को देखते हुए यह हमारे राष्ट्रीय हित में है कि हम ऊर्जा के सभी स्रोतों का दोहन करें।”

परमाणु परियोजना के लिए सुरक्षा का भरोसा देते हुए उन्होंने कहा, “हमारी ऊर्जा सुरक्षा बढ़ाने में परमाणु ऊर्जा एक विकल्प है। केंद्र सरकार यह सुनिश्चित करेगी कि लोगों की सुरक्षा और आजीविका का पूरा ख्याल रखते हुए इसे जारी रखा जाए।”

ज्ञात हो कि प्रधानमंत्री द्वारा गत चार अक्टूबर को मुख्यमंत्री को लिखे पत्र को शुक्रवार को सार्वजनिक किया गया। प्रधानमंत्री ने पत्र में इस परियोजना के सुरक्षा उपायों और इसे मिली मंजूरी का जिक्र किया।

यह परमाणु बिजली संयंत्र चेन्नई से करीब 650 किलोमीटर दूर तिरूनेलवल्ली जिले में स्थित है।

प्रधानमंत्री ने जोर देकर कहा कि सरकार परमाणु ऊर्जा कार्यक्रम जारी रखने में सुरक्षा से समझौता नहीं करेगी। चाहे वह प्रौद्योगिकी, नियमन, कुशल जनशक्ति अथवा आपातकालीन तैयारियों से सम्बंधित हो।

उन्होंने कहा कि परमाणु संयंत्रों से जुड़ी सुरक्षा चिंताओं को दूर करने के लिए सरकार विभिन्न स्थानों पर स्थित परमाणु बिजली संयंत्रों के समीप रहने वाले लोगों और समाज के अन्य वर्गो के पास जाएगी।

प्रधानमंत्री ने जयललिता को भरोसा दिलाते हुए कहा कि ‘ऐसा कुछ भी नहीं किया जाएगा कि जिससे कि तमिलनाडु के लोगों का जीवन खतरे में पड़े।’

उन्होंने उल्लेख किया कि ‘परियोजना की विस्तृत एवं व्यापक सुरक्षा समीक्षा की गई है और सभी संवैधानिक संस्थाओं ने इसे मंजूरी दी है।’

उन्होंने कहा, “मैं आपको भरोसा देना चाहूंगा कि भारत सरकार देश में परमाणु ऊर्जा का इस्तेमाल सुनिश्चित करने में सर्वोच्च सुरक्षा मानकों का सर्वाधिक वरीयता देती है।”

प्रधानमंत्री ने परमाणु संयंत्र को लेकर तमिलनाडु से उनसे मिलने आए एक बहुदलीय दल को भी इसी तरह का भरोसा दिया। इस दल में सामाजिक कार्यकर्ता, कांग्रेस सहित राजनीतिक दलों के सदस्य थे। उन्होंने 1000 मेगावाट की क्षमता वाले परमाणु बिजली संयंत्र की सुरक्षा से जुड़े कई पहलुओं पर चर्चा की।

इस परमाणु संयंत्र का निर्माण रूस के सहयोग से किया जा रहा है और इसकी शुरुआत अगले साल होनी है।

वहीं, प्रधानमंत्री कार्यालय से जारी एक बयान में कहा गया, “इस बात पर सहमति बनी कि चूंकि जो मुद्दे उठाए गए हैं वे तकनीकी हैं और उन पर गहराई से चर्चा करने की जरूरत है। केंद्र सरकार क्षेत्र के प्रतिनिधियों के साथ बातचीत करने के लिए विशेषज्ञों की एक समूह गठित करेगी। यह समूह लोगों की वैध चिंताओं को दूर करेगा।”

बयान में कहा गया, “इस प्रयास में तमिलनाडु सरकार को भी शामिल किया जाएगा।”

प्रधानमंत्री से मुलाकात के बाद भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा) के राष्ट्रीय महासचिव डी. राजा ने संवाददाताओं से कहा, “प्रधानमंत्री सहमत हैं कि केंद्र सरकार कुंडनकुलम परमाणु विद्युत परियोजना से स्थानीय लोगों की सुरक्षा पर विचार-विमर्श के लिए एक समिति को भेजने पर विचार करेगी।”

ऑल इंडिया अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (एआईएडीएमके) के सांसद वी. मैत्रेयन ने संवाददाताओं से कहा, “प्रधानमंत्री ने हमारी बातें धैर्यपूर्वक सुनीं।”

प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व तमिलनाडु के वित्त मंत्री ओ. पन्नरसेल्वम ने किया जिसमें कुंडनकुलम से कांग्रेस, एआईएडीएमके तथा भाकपा के प्रतिनिधि शामिल थे। इन प्रतिनिधियों ने मांग की कि स्थानीय लोगों की चिंताएं दूर होने तक परियोजना पर काम स्थगित रखा जाए।

प्रधानमंत्री के साथ हुई बैठक में परमाणु ऊर्जा आयोग के अध्यक्ष श्रीकुमार बनर्जी, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार शिवशंकर मेनन तथा प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्यमंत्री वी. नारायणसामी ने भी भाग लिया।

इसके अलावा प्रधानमंत्री को दो ज्ञापन भी सौंपे गए। कोस्टल पीपुल्स फेडरेशन के संयोजक एम. पुष्पारायन ने आईएएनएस से कहा, “राज्य सरकार की ओर से सौंपे गए ज्ञापन में लोगों की आशंकाओं की समाप्ति तक परियोजना पर काम रोकने की मांग की गई है।”

उन्होंने कहा, “हमने जो ज्ञापन सौंपा है उसमें परियोजना को वहां से स्थानांतरित करने की मांग की गई है।”

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