नई दिल्ली ।। दिल्ली, आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र और कर्नाटक में बारिश व हड़ताल सहित कई कारणों से कोयले की आपूर्ति प्रभावित होने के कारण बिजली की कमी ने शुक्रवार को देशव्यापी संकट का रूप अख्तियार कर लिया।

कई राज्यों को दिन में तीन से चार घंटे बिजली कटौती का सामना करना पड़ रहा है और यह संकट और गहराने की सम्भावना है, जबकि केंद्रीय कोयला मंत्री श्रीप्रकाश जायसवाल ने गुरुवार को कोयला आपूर्ति बढ़ाने के लिए कई कदमों की घोषणा की है।

बुधवार शाम जारी एक बयान में कहा गया था, “विद्युत क्षेत्र के लिए कोयले की अधिक उपलब्धता सुनिश्चित कराने के लिए कोयला मंत्रालय ने चालू महीने के दौरान विद्युत क्षेत्र को ई-नीलामी के कुछ कोयले उपलब्ध कराने का निर्णय लिया है।”

कोयले की आपूर्ति की मौजूदा नीति के अनुसार कोयले की कुल उपलब्धता का 10 प्रतिशत हिस्सा ई-नीलामी के लिए रखा जाता है। जायसवाल ने अधिकारियों को यह भी निर्देश दिया था कि कोयले की लदाई मौजूदा 153 रेक प्रतिदिन से बढ़ाकर तत्काल 169 रेक प्रतिदिन कर दिया जाए। इसके आगे और बढ़ाकर 180 रेक किए जाने की सम्भावना है। इनमें से 145 रेक विद्युत क्षेत्र के लिए आरक्षित हैं।

कोयले की कमी के पीछे मुख्य कारण कोयला उत्पादन वाले कुछ क्षेत्रों में भारी बारिश, सरकारी स्वामित्व वाले कोल इंडिया के कामगारों द्वारा पिछले सप्ताह किया गया दो दिवसीय हड़ताल और आंध्र प्रदेश में पृथक तेलंगाना राज्य की मांग को लेकर जारी हड़ताल से खनन में पैदा हुआ व्यवधान शामिल हैं।

इसके परिणामस्वरूप देश में विद्युत उत्पादन की सबसे बड़ी कम्पनी, सरकारी स्वामित्व वाली राष्ट्रीय ताप विद्युत निगम (एनटीपीसी) की कई इकाइयों में कोयले की आपूर्ति ठप्प है और मौजूदा भंडार सिर्फ दो दिनों के लिए बाकी है।

केंद्रीय ऊर्जा मंत्री सुशील कुमार शिंदे ने कहा कि देश भर में बिजली घरों में कोयले की आपूर्ति बढ़ाई जा रही है और चार से पांच दिनों में आपूर्ति सामान्य हो जाएगी।

राजधानी दिल्ली में दो वितरण कम्पनियों में से एक ने कहा कि सप्ताहांत तक स्थिति सामान्य हो जाएगी। पश्चिम बंगाल के ऊर्जा मंत्री ने भी राज्य में स्थिति के तीन दिनों में सामान्य होने की बात कही।

गुजरात में हालांकि बिजली संकट नहीं है, लेकिन उसने सावधानी के तौर पर दूसरे राज्यों को बिजली वितरण रोकने का फैसला किया है। आंध्र प्रदेश में स्वतंत्र ऊर्जा उद्यमियों को प्राकृतिक गैस की आपूर्ति बढ़ाने से संकट का कुछ हद तक समाधान होने की सम्भावना है।

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