नई दिल्ली ।। केंद्रीय वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी ने शुक्रवार को यहां कहा कि वैश्विक आर्थिक संकट से निपटने के लिए राजकोषीय और मौद्रिक नीतियों के बीच बेहतर समन्वयन की आवश्यकता है।

विजया बैंक के स्थापना दिवस समारोह को यहां सम्बोधित करते हुए मुखर्जी ने कहा, “मौजूदा वैश्विक आर्थिक घटनाक्रम और खासतौर से यूरोपीय कर्ज संकट ने मौद्रिक एवं राजकोषीय नीतियों के बीच बेहतर समन्वयन की जरूरत को एक बार फिर से केंद्र में ला दिया है।”

मुखर्जी ने कहा कि राजकोषीय और मौद्रिक नीतियों के बीच बेहतर समन्वयन सकल आर्थिक स्थिरता और वृद्धि में सुधार लाने में मददगार होगा।

देश में आर्थिक समस्याओं, खासतौर से महंगाई से निपटने में मौद्रिक एवं राजकोषीय नीति निर्माताओं द्वारा समन्वित प्रयास किए जाने की जरूरत है।

देश में मौद्रिक नीति निर्माता, भारतीय रिजर्व बैंक, महंगाई पर लगाम लगाने के लिए जनवरी 2010 से लेकर अबतक प्रमुख नीतिगत दरों में 12 बार वृद्धि कर चुका है। लेकिन यह कदम महंगाई पर लगाम लगा पाने में बहुत कारगर नहीं साबित हुआ है।

जनवरी 2010 से ही महंगाई दहाई अंकों के आसपास बनी हुई है। ताजा उपलब्ध आधिकारिक आकड़ों के अनुसार, थोक मूल्य सूचकांक पर आधारित मासिक मुद्रास्फीति सितम्बर में 9.72 प्रतिशत दर्ज की गई थी। आठ अक्टूबर को समाप्त हुए सप्ताह में खाद्य मुद्रास्फीति 10.6 प्रतिशत रही।

विश्लेषकों ने महंगाई के दबाव से निपटने के लिए बेहतर राजकोषीय उपायों का आह्वान किया है। ये उपाय सरकार द्वारा तय किए जाएंगे।

यूरोपीय अर्थव्यवस्थाओं में संकट का जिक्र करते हुए मुखर्जी ने कहा कि वैश्विक वित्तीय बाजारों में संकट इसलिए पैदा हुआ है, क्योंकि यूरो जोन संकट और बैंकों की कर्ज साख में गिरावट का पर्याप्त समाधान उपलब्ध न होने को लेकर नकारात्मक धारणाएं बनी हुई हैं।

मुखर्जी ने कहा, “कुछ उन्नत अर्थव्यवस्थाओं में उठाए जा रहे कुछ राजकोषीय समेकन उपायों से वैश्विक सुधार प्रभावित होगा।”

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