नई दिल्ली ।। केंद्रीय वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी ने बुधवार को कहा कि अशांत वैश्विक वित्तीय हालातों के कारण देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर पहले से अनुमानित आठ प्रतिशत से कम हो सकती है।
मुखर्जी ने यहां आर्थिक सम्पादकों के सम्मेलन को सम्बोधित करते हुए कहा, “मुझे इस सच्चाई को नहीं छिपाना चाहिए कि मैं पिछले कुछ महीनों से अपनी विकास दर को लेकर निराश हूं। यह स्पष्ट है कि 2011-12 में देश की विकास दर, फरवरी में जब मैंने बजट पेश किया था, उस समय किए गए हमारे अनुमान से कम होगी।”
अनुमान व्यक्त किया गया था कि मौजूदा वित्त वर्ष में विकास दर नौ प्रतिशत होगी। पहली तिमाही में जीडीपी की वृद्धि दर 7.7 प्रतिश रही, जो कि छह तिमाहियों की सबसे कमजोर दर रही है।
पिछले कुछ महीनों में देश के औद्योगिक उत्पादन की वृद्धि दर काफी मंद रही है। अगस्त में औद्योगिक उत्पादन की वृद्धि दर 4.1 प्रतिशत रही, जबकि जुलाई में यह 3.8 प्रतिशत ही थी। यह दो वर्षो के दौरान की सबसे निम्न दर है।
मुखर्जी ने कहा, “अधिकांश पर्यवेक्षक यह अनुमान लगा रहे हैं कि विकास दर आठ प्रतिशत से कम होगी। यह निराशाजनक है, लेकिन हमें वैश्विक हालात को नहीं भूलना चाहिए।”
मुखर्जी ने यह भी कहा कि उन्हें उम्मीद है कि महंगाई दिसम्बर से नीचे आना शुरू हो जाएगी। महंगाई पिछले नौ महीनों से नौ प्रतिशत से ऊपर बनी हुई है। उन्होंने कहा, “मैं आशा करता हूं कि हम लगभग सात प्रतिशत विकास दर के साथ इस वित्त वर्ष को विदा करेंगे।”