नई दिल्ली ।। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने शनिवार को कहा कि ‘दुभाग्यपूर्ण घटनाओं के बाद’अल्पसंख्यक समुदायों के लोग अक्सर महसूस करते हैं कि उन्हें गलत तरीके से निशाना बनाया जा रहा है।

राष्ट्रीय एकता परिषद [एनआईसी] की 15वीं बैठक का उद्घाटन करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि कानून को अपना काम करने की छूट होनी चाहिए व जांच एजेंसियों को किसी भी तरह के पक्षपात और पूर्वाग्रहों से मुक्त होना चाहिए।

प्रधानमंत्री ने कहा, “यह काफी संतोष का विषय है कि हाल के वर्षो में विभिन्न समुदायों के बीच के सम्बंध व्यापक तौर पर सौहार्दपूर्ण रहे हैं।”

सिंह ने कहा, “इस परिषद के सदस्यों ने यह सुनिश्चित कराने में सक्रिय भूमिका निभाई है कि घटनाक्रमों पर लोगों की प्रतिक्रियाएं परिपक्व हों अन्यथा इससे साम्प्रदायिक भावनाएं भड़क सकती थीं।”

सिंह ने कहा, “फिर भी हमें इस सम्बंध में लगातार सतर्क बने रहने की आवश्यकता है। हमें इस बात को भी स्वीकार करने की आवश्यकता है कि अल्पसंख्यक समुदायों के सदस्यों की अक्सर यह धारणा रही है कि दुर्भाग्यपूर्ण घटनाओं के बाद कानून प्रवर्तन से जुड़ी एजेंसियां उन्हें गलत तरीके से निशाना बनाती हैं।”

प्रधानमंत्री की यह टिप्पणी ऐसे समय में आई है, जब हाल ही में सुरक्षा एजेंसियों ने अजमेर शरीफ दरगाह और हैदराबाद की मक्का मस्जिद जैसे बम विस्फोटों में हिंदूवादी संगठनों की भूमिका की जांच की है। दोनों घटनाएं 2007 में घटी थी। इसके पहले जांच एजेंसियों को इन हमलों के लिए अल्पसंख्यक समुदाय के चरमवादी संगठनों की भूमिका पर शक हुआ था।

मनमोहन सिंह ने कहा, “जहां एक ओर कानून को अपना काम करने की छूट होनी चाहिए, वहीं हमें यह सुनिश्चित कराने की भी आवश्यकता है कि हमारी जांच एजेंसियां किसी भी तरह के पक्षपात एवं पूर्वाग्रहों से मुक्त हों। मीडिया को भी हमारे समाज में शांति एवं सौहार्द कायम करने में अधिक महत्वपूर्ण एवं रचनात्मक भूमिका निभानी है।”

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