नई दिल्ली ।। ऐतिहासिक रामलीला मैदान में योग गुरु बाबा रामदेव के अनशन के दौरान चार जून की देर रात हुई पुलिस कार्रवाई में घायल 51 वर्षीय महिला राजबाला का सोमवार को निधन हो गया।

राजबाला की मौत पर पर बाबा रामदेव ने कहा कि उनकी कुर्बानी बेकार नहीं जाएगी। रामदेव ने एक बयान जारी कर कहा, “यह पूरे संगठन, आंदोलन और देश के लिए अपूर्णनीय क्षति है।” उन्होंने कहा, “राजबाला शहीद हुई हैं और उनकी कुर्बानी बेकार नहीं जाने दी जाएगी। उनके लाखों भाई और बहन इस लड़ाई को लगातार जारी रखने के लिए लड़ते रहेंगे।”

योग गुरु बाबा रामदेव ने राजबाला के परिवार की हिम्मत की तारीफ़ करते हुए कहा “मेरा धर्म है कि मैं उनकी अंत्येष्टि में शामिल होऊं। मैं उनके परिवार के लगातार संपर्क में हूं।” राजबाला की मौत को बाबा रामदेव ने लोकतंत्र में एक असाधारण घटना बताते हुए लोगों से अपील की है कि ज्यादा से ज्यादा लोग राजबाला की अंत्येष्टि में शामिल हों।

परिजनों ने अस्‍पताल प्रशासन की लापरवाही को उनकी मौत के लिए जिम्‍मेदार ठहराया है और साथ ही राजबाला के शव को लेने से इनकार कर दिया है। शव अब भी जी बी पंत अस्‍पताल के शवगृह में पड़ा है। पोस्‍टमार्टम करने वाले डॉक्‍टरों की राजबाला के परिजनों से किसी बात को लेकर कहासुनी भी हुई। राजबाला के भतीजे समीर चौधरी का कहना है कि जब तक केस हिस्‍ट्री और डिस्‍चार्ज स्लिप नहीं मिलता है, शव नहीं ले जाएंगे।

भाजपा महिला मोर्चा की नेता और राजबाला की करीबी शिखा राय भी अस्‍पताल में मौजूद हैं। उन्‍होंने बताया कि यदि राजबाला की बीमारी की वजह और इसके लिए किए गए इलाज का पूरा ब्‍यौरा नहीं मिलता है, तो उनके परिजन अस्‍पताल के बाहर धरना देंगे। डॉक्‍टरों का कहना है कि जब तक केंद्र सरकार की ओर से ऐसा कोई निर्देश नहीं आता है, तब तक वो परिजनों को केस हिस्‍ट्री और डिस्‍चार्ज स्लिप नहीं देंगे।

राजबाला के एक रिश्तेदार राकेश मलिक ने आईएएनएस को बताया कि उनकी सास राजबाला की तबियत हाल के दिनों में और खराब हो गई थी। 

राजबाला की बेटी ने उनकी मौत के लिए पुलिस को जिम्मेदार ठहराते हुए कहा कि ऐसा सिर्फ पुलिस के लाठीजार्च की वजह से हुआ है। हम सभी जानते हैं कि पुलिस ने किसके कहने पर कार्रवाई की और पूरा देश जानता है कि उस दिन क्या हुआ था। लेकिन उन्होंने स्पष्ट किया कि वह मुआवजे की भूखी नहीं हैं। उन्होंने कहा, “हमें मुआवजा नहीं चाहिए। हम अपनी मां को वापस चाहते हैं, क्या वे ऐसा कर सकते हैं।”

राजबाला की बेटी ने सरकार पर कुछ न करने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि चार महीने बीत चुके हैं लेकिन सरकार ने क्या किया। हमें सरकार की तरफ से सहानुभूति का एक शब्द भी सुनने को नहीं मिला।

गौरतलब है कि राजबाला ने 114 दिनों तक जिंदगी और मौत से जूझने के बाद सोमवार को जी.बी.पंत अस्पताल में दम तोड़ दिया। अस्पताल सूत्रों के मुताबिक राजबाला को जून में ही घायलावस्था में अस्पताल के गहन चिकित्सा कक्ष (आईसीयू) में भर्ती कराया गया था, जहां सोमवार सुबह 10.25 बजे उनका निधन हो गया।

उल्लेखनीय है कि चार जून की देर रात बाबा रामदेव के समर्थकों पर हुई पुलिस कार्रवाई के दौरान 100 लोग घायल हुए थे। राजबाला भी उन्हीं में शामिल थीं।

राजबाला गुड़गांव की रहने वाली थीं। बाबा रामदेव के अनशन के दौरान चार जून की रात को हुई पुलिस कार्रवाई में वह गम्भीर रूप से घायल हो गई थीं। उनकी रीढ़ की हड्डी में गहरी चोट लगी थी।

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