नई दिल्ली ।। लगातार हंगामे व व्यवधान से आजिज आकर राज्यसभा के सभापति हामिद अंसारी ने गुरुवार को सदन की कार्यवाही अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दी। साथ ही उन्होंने सदस्यों से हंगामे व व्यवधानों पर आत्मचिंतन करने को कहा।

एक महीने से अधिक समय तक चले मानसून सत्र के दौरान सिर्फ छह विधेयक ही राज्यसभा में पेश किए जा सके जबकि छह या तो पारित कराए गए या फिर लोकसभा को लौटा दिए गए।

सदन की कार्यवाही अनिश्चिकाल के लिए स्थगित किए जाने की घोषणा के साथ ही सभापति ने यह भी कहा कि 10 दिन सदन में कोई कामकाज नहीं हो सका जबकि 58 घंटे बर्बाद हो गए। कुल 500 प्रश्नों में से सिर्फ 65 प्रश्नों के ही मौखिक जवाब आ सके। चर्चा के लिए निर्धारित किए गए 27 घंटों का भी कोई लाभ नहीं उठाया जा सका।

उन्होंने कहा, “प्रत्येक सप्ताह ध्यानाकर्षण प्रस्ताव के जरिए दो लोक महत्व के विषय उठाने का लक्ष्य तय किया गया था लेकिन पूरे सत्र के दौरान केवल एक ही विषय लिया जा सका।”

सदन की कार्यवाही लगातार बाधित होने पर चिंता जताते हुए सभापति ने कहा कि सदस्यों को नियमों को नजरअंदाज किए बगैर विभिन्न मुद्दों पर अपनी चिंता प्रकट करने के रास्ते निकालने पडेंगे।

उन्होंने कहा, “लोक महत्व के कई विषय उठाए नहीं जा सके। यह दुखद है। इसके लिए आत्मचिंतन की आवश्यकता है। “

इससे पहले, वोट के लिए नोट मामले को लेकर भारतीय जनता पार्टी [भाजपा] के सदस्यों ने भारी हंगामा किया, जिसके कारण प्रश्नकाल स्थगित करना पड़ा।

सदन की कार्यवाही शुरू होते ही भाजपा ने यह मुद्दा उठाया और वोट के लिए नोट मामले में पार्टी के दो पूर्व सांसदों- फग्गन सिंह कुलस्ते तथा महावीर सिंह भगोरा- की गिरफ्तारी पर चर्चा के लिए प्रश्नकाल स्थगित करने की मांग की।

सभापति हामिद अंसारी ने उनसे बार-बार प्रश्नकाल चलने देने की अपील की, लेकिन उन्होंने एक न सुनी। केंद्रीय संसदीय कार्य राज्य मंत्री वी. नारायणसामी और राजीव शुक्ला ने भी भाजपा सदस्यों से प्रश्नकाल चलने देने को कहा। लेकिन विपक्षी सदस्यों ने उनकी भी नहीं सुनी, जिसके बाद सभापति ने प्रश्नकाल स्थगित कर दिया।

राज्यसभा सदस्य तथा समाजवादी पार्टी [सपा] के पूर्व नेता अमर सिह और भाजपा के दो पूर्व सांसदों को मंगलवार को इस सिलसिले में गिरफ्तार किया गया।

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