नई दिल्ली ।। भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (सीएजी) की भूमिका पर उठ रहे सवालों को दरकिनार करते हुए केंद्रीय वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी ने बुधवार को कहा कि केंद्र सरकार इस संवैधानिक संस्था को और प्रभावी बनाने के लिए सम्बंधित कानून में संशोधन की दिशा में काम कर रही है।

संसद की लोकलेखा समिति (पीएसी) के अध्यक्ष व भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के वरिष्ठ नेता मुरली मनोहर जोशी ने इसके लिए मुखर्जी की सराहना भी की।

करदाताओं के पैसे के उपयोग पर नियंत्रण रखने में सीएजी की भूमिका की सराहना करते हुए मुखर्जी ने बुधवार को सीएजी की 150वीं सालगिरह के अवसर पर आयोजित समारोह को सम्बोधित करते हुए कहा, “सरकार सीएजी (डीपीसी) अधिनियम 1971 में सुधार करने के प्रस्ताव पर कार्य कर रही है। इस सुधार से सीएजी संस्था नए प्रशासनिक तौर तरीकों के साथ अधिक प्रभावी तरीके से कार्य करने में सक्षम हो जाएगी।”

ज्ञात हो कि सीएजी एक संवैधानिक संस्था है, जो भारत के नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक (कर्तव्य, शक्तियां और सेवा की शर्ते) अधिनियम, 1971 के अधीन कार्य करती है।

हाल ही में कुछ सरकारी अधिकारियों और मंत्रियों ने सीएजी की आलोचना करते हुए कहा है कि वह अपनी सीमा से आगे बढ़ रही है। यह बात 2जी स्पेक्ट्रम आवंटन पर सीएजी की रिपोर्ट के आईने में कही जा रही है।

मुखर्जी ने सीएजी की भूमिका बढ़ाए जाने की वकालत करते हुए कहा कि इससे भ्रष्टाचार मिटेगा और प्रशासन में पारदर्शिता आएगी।

उन्होंने कहा, “सीएजी को लेखापरीक्षा का अधिकार देने और इसके दायरे को केंद्र, राज्य और स्थानीय स्तर पर सभी एजेंसियों तक बढ़ाए जाने के संदर्भ में मैं कहना चाहता हूं कि उन प्रक्रियाओं की पहचान कीजिए जिसे छोड़ने की जरूरत है और विभाग को उन बेहतर प्रक्रियाओं को अपनाने की सलाह दीजिए, जिसे भारत और दुनिया भर में अपनाई जा रही है।”

उन्होंने कहा, “राजस्व की बर्बादी और प्रक्रिया की खामियों को दिखाने की सीएजी की कोशिश की मैं सराहना करता हूं।”

इस बीच, जोशी ने जहां 2जी स्पेक्ट्रम आवंटन मामले में सीएजी पर दबाव डालने के आरोपों का खंडन किया वहीं सीएजी विनोद राय ने यह कहकर भाजपा नेता को राहत पहुंचाई कि जोशी ने स्पेक्ट्रम आवंटन रिपोर्ट को प्रभावित करने की कोशिश नहीं की थी।

जोशी ने इन आरोपों पर बुधवार को सफाई देते हुए कहा, “ये आरोप बकवास है। पूरी तरह गलत और आधारहीन है। यह पीएसी और सीएजी को बदनाम करने का प्रयास है।”

उन्होंने कहा, “सीएजी की ओर से कहा गया था कि उसकी रिपोर्ट छह महीने में आ जाएगी लेकिन जब ऐसा नहीं हुआ और सांसदों तथा मीडिया ने हो रही देरी का कारण पूछा तो हम सिन्हा से सिर्फ यह जानना चाहते थे कि रिपोर्ट कब आएगी क्योंकि उस वक्त वही नोडल अधिकारी थे।”

जोशी ने कहा कि सीएजी की विश्वसनीयता पर सवाल उठाया जाना बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है। उन्होंने स्पष्ट किया कि 2जी स्पेक्ट्रम घोटाले से राजस्व को 1.76 करोड़ रुपये का ही नुकसान हुआ है।

उन्होंने कहा, “मैंने कभी नहीं कहा कि आप मेरे घर आइए और नुकसान का हिसाब कीजिए। इस मामले पर सीएजी से कभी कोई बात नहीं हुई। हमने सिर्फ यही पूछा कि रिपोर्ट कहां है। यह सीएजी को बदनाम करने का प्रयास है। मैं इसका विरोध करता हूं। वे इस संस्था को बर्बाद करने का प्रयास कर रहे हैं।”

इससे पहले सीएजी के 150 साल पूरा होने के अवसर पर आयोजित एक समारोह को सम्बोधित करते हुए जोशी ने कहा, “यह बेहद दुर्भाग्यूपर्ण है..हाल ही में सीएजी की रिपोर्ट संसद में पेश की गई है और मीडिया का एक धड़ा और यहां तक कि कुछ सांसदों ने सीएजी जैसी संस्था की विश्वसनीयता पर सवाल खड़े किए।”

जोशी का यह बयान उस वक्त आया है जब पिछले दिनों सीएजी के एक वरिष्ठ अधिकारी आर. पी. सिंह ने कहा था कि 2जी घोटाले में 1.76 करोड़ रुपये का जो राजस्व नुकसान बताया गया है वह सिर्फ गणितीय आकलन है।

जोशी ने पूर्व राष्ट्रपति सर्वपल्ली डा. राधाकृष्णन के एक उद्धरण को याद करते हुए कहा, “अंकेक्षण विभाग ऐसी बातें कहने को अनुग्रहित है जो सरकार के लिए मुश्किलें पैदा करने वाली होती हैं, लेकिन यह उसके अधिकारियों का कर्तव्य है क्योंकि देश के प्रति उनकी एक जिम्मेदारी बनती है।”

उन्होंने मुखर्जी को सीएजी का समर्थन करने और उसे प्रभावी बनाने के लिए किए जा रहे प्रयासों के लिए साधुवाद दिया।

जोशी ने कहा, “ऐसे समय में जब संवैधानिक संस्थाओं पर हमले हो रहे हैं और कई घोटाले सामने आ रहे हैं, सांसदों और मीडिया की ओर से सीएजी की सराहना करनी चाहिए। यह सुखद है कि मुखर्जी सीएजी के समर्थन में आए हैं।”

बकौल जोशी, “मैंने कई ऐसे मौके भी देखे हैं जब सीएजी को जरूरी कागजात देने से मना कर दिया जाता है। वित्त मंत्री को इस ओर ध्यान देना चाहिए। सीएजी को और अधिक शक्तियां प्रदान करने की जरूरत है।”

उधर, विनोद राय ने कहा, “उनके संगठन (सीएजी) पर किसी ओर से किसी तरह का दबाव नहीं था। सीएजी हमेशा अपने संवैधानिक दायित्व के निर्वाह को प्रभावित करने की कोशिशों के साथ सख्त रवैया अपनाता है।”

राय संगठन के 150 साल पूरा होने के अवसर पर आयोजित एक समारोह में बोल रहे थे। समारोह में संसद की लोकलेखा समिति के अध्यक्ष जोशी भी मौजूद थे। समिति सरकारी खर्च की जांच करती है।

राय ने कहा कि लोक लेखा समिति खुद ही 2जी मामले की जांच कर रही थी और उसकी एक टीम दूरसंचार नीति की जांच में उन्हें सहयोग कर रही थी। उन्होंने कहा, “सीएजी ने समिति को यह स्पष्ट कर दिया था कि लेखापरीक्षा के निष्कर्ष संसद में पेश किए जाने से पहले किसी को बताए नहीं जा सकते, समिति को भी नहीं।”

उल्लेखनीय है कि सीएजी विनोद राय ने अपनी रिपोर्ट में 2जी स्पेक्ट्रम आवंटन से सरकार को 1.76 लाख करोड़ रुपये का नुकसान होने की बात कही है, जबकि पूर्व ऑडिट महानिदेशक (डाक और दूरसंचार) आर.पी. सिंह ने कहा है कि नुकसान सिर्फ 2,645 करोड़ रुपये का हुआ है।

सीएजी में महानिदेशक (रिपोर्ट केंद्रीय) आर. बी. सिन्हा ने 13 जुलाई, 2010 को उप सीएजी रेखा गुप्ता को लिखे पत्र में कहा था कि जोशी ने उन्हें फोन किया और कहा कि 2जी तथा 3जी स्पेक्ट्रम आवंटन की लोक लेखा समिति द्वारा की जा रही जांच को लेकर उन पर सांसदों एवं मीडिया का बहुत दबाव है।

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