नई दिल्ली, Hindi7.com ।। प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह के मंत्रिमंडल में किए गये हालिया बदलावों में एक बदलाव ऐसा है, जो सबको सोचने पर मजबूर कर रहा है। जयराम रमेश के बारे में तो आपने सुना ही होगा। यूपीए सरकार के इस तेजतर्रार और विवादास्पद नेता को ग्रामीण विकास मंत्रालय का कार्यभार सौंपा गया है।

इससे पहले यह पर्यावरण मंत्रालय में थे और अपने कार्यों, निर्णयों और बयानों के कारण अक्सर मीडिया की सुर्खियां बनते रहे। कई बार ऐसे आरोप भी लगे कि इनके कुछ निर्णय पूरी तरह राजनीति से प्ररित रहे हैं, तो कई बार इनको तारिफ भी मिली है।

अब जयराम रमेश के जिम्मे ग्रामीण विकास मंत्रालय को कर दिया गया है। इस पर तरह-तरह के कयास लगाये जा रहे हैं। राजनीतिक पंडितों का कहना है कि जयराम को ग्रामीण विकास मंत्री बनाकर यूपीए सरकार एक साथ कई निशानों को साधना चाहती है।

उधर, शपथ लेने के तत्काल बाद ही रमेश ने ग्रामीण विकास मंत्रालय के कामकाज को संभाल लिया है। कयास लगाये जा रहे हैं कि दूरदृष्टि के तहत केंद्र सरकार ने रमेश को ग्रामीण विकास मंत्रालय सौंपना है, जिसके फायदे आने वाले समय में नजर आने लगेंगे। मंत्रालय के कामकाज के हिसाब से यहां उनकी दक्षता व कार्यक्षमता का भी पूरा उपयोग हो सकेगा। जैसा कि कांग्रेस का नारा है, कांग्रेस का हाथ आम आदमी के साथ, तो ऐसे रमेश सरकार के सामाजिक चेहरे को अच्छी तरह तराश और चमका सकेंगे।

गौरतलब है कि संप्रग सरकार के पहले कार्यकाल में वह सोनिया गांधी की अध्यक्षता वाली राष्ट्रीय सलाहकार परिषद के प्रमुख सदस्य भी थे। इसी दौरान राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना के मसौदे को तैयार किया गया था, जिसमें रमेश की भी महती भूमिका थी। इसके अलावा सरकार की प्रस्तावित पुनर्वास नीति, भूमि अधिग्रहण विधेयक के निर्माण में रमेश ने अहम योगदान किया है।

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