शिमला ।। हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री प्रो. प्रेम कुमार धूमल ने स्वयंसेवी संस्थाओं और संस्कृत के उत्थान से जुड़े अन्य संगठनों से आह्वान किया है कि वे लोगों को संस्कृत भाषा को अपनी दिनचर्या व व्यवहार में समाहित कर इसे प्रोत्साहन दें तभी भारत फिर से विश्वगुरु की उपाधि प्राप्त कर सकेगा।

मुख्यमंत्री रविवार को यहां के ऐतिहासिक गेयटी थिएटर में आयोजित संस्कृतोत्सव के अवसर पर लोगों को संबोधित कर रहे थे। संस्कृतोत्सव का आयोजन संस्कृत भारती तथा हिमाचल प्रदेश तथा भाषा, कला एवं संस्कृति विभाग द्वारा संयुक्त रूप से किया गया।

धूमल ने कहा कि संस्कृत विश्व की सबसे पुरानी और सशक्त भाषा है, जिससे विश्व की कई भाषाओं का उद्गम हुआ है। संस्कृत भाषा से ही भारतीय संस्कृति की विश्वभर में पहचान बनी है। विश्व के अनेक विकसित दशों में इस भाषा पर अनुसंधान कार्य चल रहे हैं। हमारे पौराणिक ग्रंथों, वेद पुराणों और ज्ञान पुस्तिकाएं संस्कृत भाषा में ही लिखी गई हैं, इसलिए इन्हें ठीक तरह से समझने के लिए संस्कृत भाषा का ज्ञान होना अनिवार्य है।

उन्होंने कहा कि भारतीय संस्कृति विश्व की सबसे विकसित संस्कृति रही है, जिसका वर्णन हमारे वेदों, पुराणों, रामायण एवं महाभारत जैसे ग्रंथों में मिलता है। विश्व के विभिन्न देशों के विद्वानों ने संस्कृत भाषा का ज्ञान प्राप्त कर इन ग्रंथों पर अनुसंधान किया है और वे देश विकसित हुए हैं। जर्मनी जैसे समृद्घ देश में भी संस्कृत पर अनुसंधान कार्य हो रहा है, जबकि हमारा युवा वर्ग अपनी इस समृद्ध भाषा से विमुख हो रहा है।

धूमल ने इस बात पर चिंता व्यक्त की कि प्रदेश सरकार द्वारा सभी पाठशालाओं में संस्कृत भाषा का पाठ्यक्रम चलाने के बावजूद इसमें पढ़ने वाले बच्चों की संख्या निरंतर कम होती जा रही है।

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