
नई दिल्ली ।। दिल्ली उच्च न्यायालय ने बुधवार को केंद्र सरकार से यह सुनिश्चित करने के लिए कहा कि स्कूलों व कॉलेजों की कैंटीनों में शीतल पेयों व जंक फूड पर पूर्ण प्रतिबंध लगे।
न्यायाधीश ए.के. सीकरी व सिद्धार्थ मृदुल की खंडपीठ ने सरकारी हलफनामे में जंक फूड से स्वास्थ्य को खतरा स्वीकारे जाने पर अप्रसन्नता जताते हुए कहा, “हम सिर्फ बातें नहीं चाहते हैं। हम चाहते हैं कि सरकार शैक्षिक संस्थानों के नजदीक जंक फूड की बिक्री व आपूर्ति पर पूरी तरह प्रतिबंध सुनिश्चित करने के लिए प्रभावी कदम उठाए।”
खंडपीठ ने कहा, “आपने जो हलफनामा दाखिल किया है, उससे हम संतुष्ट नहीं हैं।” खंडपीठ शैक्षिक संस्थानों के नजदीक जंक फूड व शीतल पेयों की बिक्री पर प्रतिबंध लगाने की मांग को लेकर दायर की गई याचिका पर सुनवाई कर रही थी।
हलफनामे में कहा गया है कि केंद्र सरकार ने शैक्षिक संस्थानों में सुरक्षित भोजन उपलब्ध कराने के दिशा-निर्देश निर्धारित करने के लिए अनुभवी एजेंसियों, संगठनों व संस्थानों से प्रस्ताव आमंत्रित किए हैं। यह हलफनामा 18 जुलाई को दाखिल किया गया था।
इससे पहले मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा व न्यायाधीश संजीव खन्ना की खंडपीठ के समक्ष दायर हलफनामे में स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा था कि उसने सभी राज्य सरकारों व संघ शासित क्षेत्रों को स्कूलों व कॉलेजों की कैन्टींस में शीतल पेयों व जंक फूड पर प्रतिबंध लगाने के लिए निर्देश जारी करने के लिए कहा है।
न्यायाधीश सीकरी ने कहा, “आपने विभिन्न राज्य सरकारों को जंक फूड से होने वाले हानिकारक प्रभावों के सम्बंध में लिखा था लेकिन इससे समस्या का समाधान नहीं हुआ क्योंकि शैक्षिक संस्थानों के नजदीक जंक फूड की बिक्री पर प्रतिबंध नहीं लगा।”
अदालत ने केंद्र सरकार से दो नवंबर तक एक रिपोर्ट पेश कर यह बताने के लिए कहा है कि उसने इस मामले में क्या कदम उठाए। उसने केंद्र सरकार से जंक फूड से शरीर पर होने वाले हानिकारक प्रभावों के सम्बंध में युवा पीढ़ी को जागरूक करने के लिए कहा है।