नई दिल्ली ।। सर्वोच्च न्यायालय ने पंजाब में सिख आतंकवाद के दौरान बलवंत सिंह भुल्लर और बलवंत सिंह मुल्तानी की हत्या में राज्य के भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) के वरिष्ठ अधिकारी की कथित संलिप्तता की केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) से जांच कराने के पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय के आदेश को बुधवार को खारिज कर दिया।

सर्वोच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति बी. एस. चौहान और ए. के. पटनायक की खंडपीठ ने बुधवार को कहा कि उच्च न्यायालय का फैसला ‘पक्षपातपूर्ण’ और ‘वैधानिक रूप से मान्य नहीं’ है।

आईपीएस अधिकारी सुमेध सिंह सैनी पर भुल्लर तथा मुल्तानी के अपहरण और फिर उनकी हत्या का आरोप है। आरोप है कि वर्ष 1991 में सैनी की हत्या के विफल प्रयास के बाद पुलिस ने इनका अपहरण कर लिया था।

आरोप है कि देविंदर पाल सिंह भुल्लर, बलवंत भुल्लर के बेटे और मुल्तानी के मित्र ने सैनी की हत्या का प्रयास किया था। देविंदर भुल्लर को वर्ष 1993 में दिल्ली में युवा कांग्रेस प्रमुख एम. एस. बिट्टा की हत्या का प्रयास करने के लिए फांसी की सजा सुनाई जा चुकी है।

सर्वोच्च न्यायालय ने उच्च न्यायालय के आदेश के परिणामस्वरूप की गई सभी प्रक्रियाएं अमान्य करार देते हुए इस मामले में सीबीआई द्वारा दर्ज की गई प्राथमिकी को रद्द कर दिया।

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