नई दिल्ली ।। सर्वोच्च न्यायालय ने सोमवार को 2जी मामले में केंद्रीय गृहमंत्री पी. चिदम्बरम की तत्कालीन वित्त मंत्री के रूप में उनकी भूमिका की जांच केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) से कराने की मांग वाली याचिका पर फैसला सुरक्षित रख लिया है। इस याचिका में दो स्वतंत्र व्यक्तियों द्वारा मामले की प्रतिदिन निगरानी किए जाने की भी मांग की गई है।
सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश जी.एस. सिंघवी एवं न्यायाधीश ए.के. गांगुली की खण्डपीठ ने फैसला सुरक्षित रख लिया। जनता पार्टी के अध्यक्ष एवं याचिकाकर्ता सुब्रमण्यम स्वामी ने याचिका में 2जी स्पेक्ट्रम के मूल्य निर्धारण में वित्त मंत्री के रूप में चिदम्बरम की भूमिका की जांच की मांग की थी।
एक अन्य याचिकाकर्ता ‘सेंटर फॉर पब्लिक इंट्रेस्ट लिटिगेशन’ (सीपीआईएल) ने मामले की निगरानी दो स्वतंत्र व्यक्तियों से कराने की याचिका दायर की है।
दूसरी तरफ सीबीआई ने कहा कि उसने स्वामी द्वारा जमा किए गए कागजातों का अध्ययन किया है और इसमें कुछ भी नया नहीं है। सीबीआई ने कहा कि स्वामी ने दस्तावेज के रूप में वित्त मंत्रालय का 25 मार्च 2011 को लिखा गया नोट जमा किया है जिसमें 2जी आवंटन के मामले में सरकार के भीतर किए गए पत्राचार का ब्योरा भर है।
सीबीआई ने सीपीआईएल की याचिका का भी विरोध किया और कहा कि याचिकाकर्ता को जांच एवं उसकी संस्तुतियों की जानकारी नहीं है।