चण्डीगढ़ ।। पंजाब एवं चण्डीगढ़ उच्च न्यायालय ने अति विशिष्ट लोगों (वीवीआईपी)के सुरक्षा अमले से आम जनता को हो रही तकलीफों को संज्ञान लिया है। अब उन्हें अपने सुरक्षाकर्मियों को अपने ही परिसरों के अंदर ही रखना पड़ सकता है।

उच्च न्यायालय ने सार्वजनिक स्थलों पर लगे सुरक्षाकर्मियों के तम्बुओं को हटाने की कोई ठोस योजना तैयार करने के लिए चंडीगढ़ प्रशासन को 15 दिन का समय दिया है, ताकि शहर के लोग राहत की सांस ले सकें। 

चंडीगढ़ के एक निवासी बलबीर सिंह ने आईएएनएस से कहा, “सुरक्षाकर्मियों के तम्बू स्थानीय निवासियों के लिए समस्या हैं। विशिष्ट व्यक्ति जहां ऊंची चारदीवारी के भीतर अपने बंगलों में रहते हैं, वहीं सुरक्षाकर्मी बाहर बैठते हैं, सोते हैं, कपड़े व बरतन धोते हैं। यहां तक कि हमारे परिवार के लोग इलाके में मुक्त होकर घूम तक नहीं सकते।”

उच्च न्यायालय के कई न्यायाधीशों ने हाल ही में स्वयं अपने सुरक्षाकर्मियों के तम्बुओं को सार्वजनिक स्थलों से हटा लिया और उन्हें अपने सरकारी बंगलों के अंदर ही रखने का निश्चय किया।

चण्डीगढ़ के कई सेक्टरों में अनधिकृत सुरक्षा तम्बुओं की समस्या है। ये तम्बू हरित पट्टियों, उद्यानों और अन्य सार्वजनिक स्थलों पर लगे हुए हैं।

चूंकि यह शहर पंजाब और हरियाणा, दोनों राज्यों की संयुक्त राजधानी है और केंद्र शासित प्रशासन का भी यहां मुख्यालय है, लिहाजा यहां बहुत से वीवीआईपी और वीआईपी हैं, जिन्हें सम्बंधित सरकारों से पुलिस सुरक्षा मिली हुई है।

जेड प्लस श्रेणी की सुरक्षा प्राप्त लोगों में दोनों राज्यपाल (पंजाब के शिवराज पाटील, और हरियाणा के जगन्नाथ पहाड़िया), दोनों मुख्यमंत्री (पंजाब के प्रकाश सिंह बादल, हरियाणा के भूपिंदर सिंह हुड्डा), पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री बेअंत सिंह का परिवार और अखिल भारतीय आतंकवाद निरोधी मोर्चा के नेता मनिंदरजीत सिंह बिट्टा शामिल हैं।

उच्च न्यायालय में स्थानीय प्रशासन द्वारा सौंपे गए एक हलफनामे में कहा गया है कि विभिन्न सेक्टरों में वीवीआईपी लोगों से सम्बंधित कम से कम 36 तम्बू हैं। इनमें बेअंत सिंह के परिवार और बिट्टा के आठ-आठ तम्बू शामिल हैं। पांच अनधिकृत तम्बू पंजाब के मुख्यमंत्री से सम्बंधित हैं।

प्रशासन ने पूर्व में प्रस्ताव दिया था कि वह पंजाब और हरियाणा की सरकारों को लिखेगा कि वे सम्बंधित वीवीआईपी को कहें कि वे अनिधिकृत तम्बुओं को हटा लें। लेकिन उच्च न्यायालय ने इसके लिए एक समयबद्ध योजना तैयार करने के लिए कहा है।

कार्यकारी मुख्य न्यायाधीश एम.एम. कुमार की अध्यक्षता वाली खण्डपीठ के सदस्य न्यायमूर्ति आर.एन. रैना ने मामले की सुनवाई के दौरान पूछा, “क्या कोई मुख्य सचिव मुख्यमंत्री से उनके सरकारी आवास के बाहर लगे अनधिकृत तम्बुओं को हटाने के लिए कह सकता है?”

अनधिकृत सुरक्षा तम्बुओं की समस्या को रेखांकित करते हुए हाल ही में उच्च न्यायालय में एक जनहित याचिका दायर की गई थी। 

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