नई दिल्ली ।। ।। पत्रकार शिवानी भटनागर की 1999 में हुई हत्या से सम्बद्ध मामले में तीन साल पहले दोषी करार दिए गए पूर्व पुलिस अधिकारी आर.के. शर्मा बुधवार को दिल्ली उच्च न्यायालय ने साक्ष्यों के अभाव में बरी कर दिया। इसके बाद वह तिहाड़ जेल से रिहा हो गए।

अदालत का फैसला आने के बाद दिल्ली पुलिस के वकील पवन शर्मा ने कहा कि वे फैसले का अध्ययन करेंगे और उसके बाद सर्वोच्च न्यायालय में अपील करेंगे।

दिल्ली उच्च न्यायालय ने बुधवार को मुख्य आरोपी एवं भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) के पूर्व अधिकारी आर.के. शर्मा सहित तीन आरोपियों को बरी कर दिया।

न्यायमूर्ति बी.डी. अहमद और न्यायमूर्ति मनमोहन सिह की खंडपीठ ने शर्मा के साथ श्रीभगवान और सत्यप्रकाश को भी बरी कर दिया। तीनों को निचली अदालतन ने इस मामले में उम्र कैद की सजा सुनाई थी।

खंडपीठ ने इस मामले के एक अन्य आरोपी प्रदीप शर्मा की उम्रकैद की सजा बरकार रखते हुए कहा कि निचली अदालत द्वारा उसे हत्या के लिए दोषी करार देने का फैसला सही है।

अदालत ने कहा कि शिवानी की हत्या के पीछे प्रदीप शर्मा का क्या उद्देश्य था यह अस्पष्ट है लेकिन वैज्ञानिक और परिस्थितिजन्य साक्ष्यों से यह साबित होता है कि शर्मा ने ही शिवानी की हत्या की।

पीठ ने कहा, “आर.के. शर्मा, श्रीभगवान और सत्यप्रकाश को संदेह का लाभ देते हुए बरी किया जाता है।”

इस मामले में चारों आरोपियों ने निचली अदालत द्वारा दोषी करार दिए जाने के फैसले को उच्च न्यायालय में चुनौती दी थी। उच्च न्यायालय ने दोनों पक्षों की सुनवाई के बाद पिछले साल 21 दिसंबर को फैसला सुरत्रित रख लिया था।

अदालत का आदेश आर.के. शर्मा के लिए बड़ी राहत लेकर आया क्योंकि वह करीब आठ सालों से इस मामले में जेल में थे।

तिहाड़ के प्रवक्ता सुनील गुप्ता ने कहा कि तीनों बरी किए गए आरोपी बुधवार रात जेल से रिहा कर दिए गए।

अभियोजन पक्ष के मुताबिक आर.के. शर्मा ने शिवानी को कुछ गुप्त दस्तावेज दिए थे जिसे शिवानी सार्वजनिक करना चाहती थी जिसकी वजह से उसकी हत्या कर दी गई।

समाचार पत्र ‘इंडियन एक्सप्रेस’ की पत्रकार शिवानी भटनागर की 23 जनवरी 1999 को पूर्वी दिल्ली के नवकुंज अपार्टमेंट स्थित उनके आवास पर हत्या कर दी गई थी।

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