कोलकाता ।। कलकत्ता उच्च न्यायालय ने बुधवार को पश्चिम बंगाल सरकार की सिगूर भूमि कानून को चुनौती देने वाली टाटा मोटर्स की याचिका खारिज कर दी। न्यायालय ने कहा कि कानून संवैधानिक और वैध है।
वहीं, अर्थशास्त्रियों ने न्यायालय के इस फैसले को ऐतिहासिक बताया और कहा कि इससे देश में भूमि अधिग्रहण विरोधी आंदोलन को बल मिलेगा।
न्यायाधीश इंद्र प्रसन्ना मुखर्जी ने फैसला सुनाते हुए सिंगूर भूमि पुनर्वास एवं विकास कानून के तहत राज्य सरकार द्वारा उठाए गए कदमों को वैध ठहराया।
न्यायाधीश ने कहा, “जिस कानून के तहत भूमि का अधिग्रहण किया गया वह कानून भूमि का इस्तेमाल सार्वजनिक उद्देश्य के लिए प्रेरित करता है यानी भूमि का उपयोग सामाजिक-आर्थिक विकास और आने वाली पीढ़ियों को रोजगार देने में होना चाहिए जबकि याचिकाकर्ता ऐसा नहीं कर सका।”
न्यायालय ने हालांकि कहा कि प्रशासन ने कानून की अधिसूचना जारी होने के बाद टाटा मोटर्स द्वारा कम्पनी का परिसर खाली करने के लिए ‘जल्दबाजी’ दिखाई।
न्यायालय ने यह भी कहा कि मुआवजे से सम्बंधित सिंगूर कानून का प्रारूप ‘अस्पष्ट एवं अनिश्चित’ हैं हालांकि इसमें मुआवजे के भुगतान की मंशा जाहिर की गई है। इसलिए याचिकाकर्ता मुआवजा पाने का हकदार है और भूमि अधिग्रहण कानून की धारा 23 एवं 24 के हिसाब से उसे मुआवजा मिलना चाहिए।
न्यायाधीश ने मामले में दो नवम्बर तक बिना शर्त यथास्थिति बनाए रखने का आदेश दिया और दोनों पक्षों को किसी कानूनी समाधान तक पहुंचने के लिए पर्याप्त समय दिया।
जिलाधिकारी और हुगली के पुलिस अधीक्षक को दो नवम्बर से दो महीने के भीतर टाटा नैनो संयंत्र परिसर से सम्बंधित चीजों को हटाने की निगरानी के लिए अधिकारी नियुक्त किया गया है।
कम्पनी के वकील समरादित्य पाल के यह पूछे जाने पर कि क्या भूमि का दोबारा वितरण तुरंत शुरू होगा, न्यायाधीश ने कहा कि कानून के तहत दो नवम्बर तक सभी गतिविधियों पर रोक रहेगी।
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने अदालत के फैसले का स्वागत किया है। इसे ‘लोगों की जीत’ बताते हुए उन्होंने कहा कि इससे किसानों को भूमि लौटाने का मार्ग प्रशस्त होगा।
अदालत के फैसले पर ममता बनर्जी ने कहा, “यह न केवल सिंगूर या देश, बल्कि पूरी दुनिया के लिए ऐतिहासिक अवसर है। सिंगूर आंदोलन हमेशा दुनिया के लिए लोगों के संघर्ष और उनकी जीत का उदाहरण बना रहेगा।”
फैसले का स्वागत करते हुए ममता ने कहा कि इससे किसानों को भूमि लौटाने का मार्ग तैयार हुआ है, जिसके लिए औपचारिकताएं पूरी कर ली गई हैं। शेष 600 एकड़ भूमि पर औद्योगिक इकाइयां स्थापित की जाएंगी।
टाटा मोटर्स को यह जमीन पश्चिम बंगाल की पूर्ववर्ती वाम मोर्चे की सरकार ने नैनो कार परियोजना के लिए पट्टे पर दी थी। लेकिन किसानों ने जमीन जबरन लेने का आरोप लगाते हुए इसका भारी विरोध किया, जिसे तृणमूल ने खुलकर समर्थन दिया। किसानों के विरोध के कारण टाटा मोटर्स को यह परियोजना पश्चिम बंगाल से हटाकर गुजरात ले जानी पड़ी।
किसानों के इस आंदोलन को खुले समर्थन का लाभ तृणमूल को विधानसभा चुनाव में हुआ। पार्टी भारी बहुमत से जीती। ममता बनर्जी के मुख्यमंत्री बनने के एक महीने के भीतर 14 जून को राज्य सरकार ने विधानसभा में सिंगूर भूमि पुनर्वास और विकास कानून पारित करवाया, जिसके तहत टाटा मोटर्स से जमीन ले ली गई।
नया कानून 21 जून से प्रभावी हो गया। लेकिन अगले ही दिन टाटा मोटर्स ने इसे उच्च न्यायालय में चुनौती दे दी थी, जिसे अदालत ने खारिज कर दिया।
अदालत के फैसले के बाद टाटा मोटर्स ने कहा कि फैसले के अध्ययन के बाद अगले कदम के बारे में वह निर्णय लेगी। कम्पनी के सूचना अधिकारी देबाशीष रे ने कहा, “सिंगूर भूमि पुनर्वास तथा विकास अधिनियम 2011 पर हमने कलकत्ता उच्च न्यायालय के फैसले के बारे में सुना है। कम्पनी फैसले का अध्ययन करेगी और फिर अगले कदम के बारे में निर्णय लेगी।”