नई दिल्ली ।। भारत सरकार ने सोशल नेटवर्किंग साइटों पर सरकार की आलोचना से जुड़ी कुछ सामग्रियों पर कड़ी आपत्ति जताते हुए इन पर कड़े नियंत्रण के बारे में विचार करने जा रही है।

सरकार चाहती है कि इन साइटों पर सेंसरशिप के बाद ही कोई चीज अपलोड की जाए। इस संबंध में पिछले तीन महीनों से सरकार और नेटवर्किंग साइटों के बीच बातचीत चल रही है।

सोमवार को संचार मंत्री कपिल सिब्बल ने सरकार की मांग रखते हुए गूगल, याहू और फेसबुक के भारतीय प्रतिनिधियों से मुलाकात की। हालांकि कपिल सिब्बल ने साफ किया कि सरकार अपनी तरफ से किसी भी सेंसरशिप की तैयारी में नहीं है, लेकिन इन कंपनियों से उम्मीद करती है कि वह खुद अपने अंदर स्वनियंत्रण की व्यवस्था बनाएं।

सरकार ने अपनी बात के समर्थन में पिछले कुछ महीनों के क्लिपिंग इन कंपनियों को दिखाई है, जिसमें धार्मिक और व्यक्तिगत भावनाओं को ठेस पहुंचाई जा रही है।

सूत्रों के अनुसार सरकार इन साइटों पर प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी की हो रही आलोचना और कुछ तस्वीरों से खासी नाराज है।

इन कंपनियों के यूजर्स और उनके द्वारा लिखे जा रहे कंटेंट की संख्या करोड़ों में है। ऐसे में किसी भी तरह के इंटरनेशनल रेगुलेशन को लागू कर पाना लगभग असंभव है।

उधर, सोशल नेटवर्किंग पर शिकंजा कसने की सरकारी कोशिश का दिल्ली में बैठे अमेरिकी अधिकारियों ने विरोध किया है। उल्लेखनीय है कि अन्ना के आंदोलन के दौरान सरकार ने माना था कि वह सोशल नेटवर्किंग साइटों पर नजर रख पाने में नाकाम रही थी।

ज्ञात हो कि हाल ही में कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह ने अपने ऊपर डाले गए कमेंट के आधार पर कई वेबसाइटों के खिलाफ आपत्तिजनक चीजें छापने के विरोध में एफआईआर दर्ज कराया था।

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