नई दिल्ली ।। 2जी स्पेक्ट्रम आवंटन के मुद्दे पर केंद्रीय वित्त मंत्रालय की टिप्पणी को लेकर उठे विवाद पर कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने सोमवार को पहली बार हस्तक्षेप किया। उन्होंने इस मसले पर केंद्रीय वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी और केंद्रीय गृह मंत्री पी. चिदम्बरम से अलग-अलग मुलाकातों के दौरान चर्चा की।

10, जनपथ स्थित सोनिया गांधी के आवास पर सबसे पहले चिदम्बरम सोनिया से मिले और उन्होंने अपना पक्ष रखा। ऐसा समझा जाता है कि 2जी मामले में वित्त मंत्रालय की टिप्पणी पर अब तक कुछ भी बोलने से बच रहे चिदम्बरम ने सोनिया के सामने इस बारे में अपनी स्थिति स्पष्ट की। दोनों के बीच तकरीबन 25 मिनट बातचीत हुई।

प्रणब मुखर्जी अमेरिका से लौटने के कुछ देर बाद ही सोनिया गांधी से मिले। इस मुलाकात को बहुत अहम माना जा रहा है। बताया गया है कि प्रणब ने वित्त मंत्रालय की टिप्पणी पर सोनिया के समक्ष अपना पक्ष रखा।

सोनिया से मिलने से पहले मुखर्जी ने चिदम्बरम को सरकार का सबसे मजबूत स्तम्भ बताया। बकौल मुखर्जी “वह सरकार की मजबूती के स्तम्भ हैं।”

सूत्र बताते हैं कि सोनिया गांधी इस विवाद को जल्द से निपटाना चाहती हैं क्योंकि पहले से ही भ्रष्टाचार के आरोपों से सरकार की खराब हो चुकी छवि को और नुकसान पहुंच रहा है।

पार्टी सूत्रों का कहना है कि मंगलवार को प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की स्वदेश वापसी के बाद वरिष्ठ नेताओं की कुछ और अहम बैठकें होंगी। सूत्रों का यह भी कहना है कि प्रधानमंत्री और वित्त मंत्री ने अमेरिका से ही चिदम्बरम से फोन पर बातचीत की है।

2जी मामले में अपने मंत्रालय की टिप्पणी के सम्बंध में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के साथ न्यूयार्क में बैठक के बाद केंद्रीय वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी ने इस मसले पर टिप्पणी करने से इंकार कर दिया था। उन्होंने कहा था कि यह मामला विचाराधीन है और कोई प्रतिक्रिया देने से पहले उन्हें अपने सहयोगी केंद्रीय गृह मंत्री पी. चिदम्बरम से बात करने की जरूरत है।

प्रधानमंत्री के साथ मुखर्जी की बैठक 45 मिनट तक चली थी। बैठक के बाद होटल में जल्दबाजी में बुलाए गए संवाददाता सम्मेलन में मुखर्जी ने भारतीय पत्रकारों से पूछा, “जब तक मैं केंद्रीय कानून मंत्री से इस मसले पर बात नहीं कर लेता, जब तक मैं केंद्रीय गृह मंत्री पी. चिदम्बरम से चर्चा नहीं कर लेता और जब तक मैं पार्टी के अन्य नेताओं से विचार-विमर्श और प्रासंगिक सभी दस्तावेजों को देख नहीं लेता तब तक मैं कौन सा बयान दूंगा?”

उद्वेलित मुखर्जी ने कहा, “और मुझे एक घरेलू मुद्दे पर विदेश में बयान क्यों देना चाहिए? क्या मेरा यहां बयान देना उचित है। मैं कोई वकील नहीं हूं। मुझे इस पर विशेषज्ञों की राय लेनी है। इसके पहले इस मामले में किसी प्रकार की टिप्पणी करना मेरे लिए उचित नहीं होगा।”

उल्लेखनीय है कि केंद्रीय वित्त मंत्रालय की ओर से प्रधानमंत्री कार्यालय को जो टिप्पणी भेजी गई है उसमें कहा गया है कि वर्ष 2008 में केंद्रीय वित्त मंत्री रहे चिदम्बरम यदि चाहते तो 2जी स्पेक्ट्रम आवंटन की नीलामी हो सकती थी और राजस्व को पहुंचे हजारों करोड़ रुपये के नुकसान से बचा जा सकता था।

केंद्रीय वित्त मंत्रालय की यह टिप्पणी सूचना का अधिकार के तहत सार्वजनिक हुई है। मंत्रालय के एक उप सचिव द्वारा तैयार की गई इस टिप्पणी को गत 25 मार्च को प्रधानमंत्री कार्यालय भेजा गया और यह टिप्पणी भेजे जाने से पहले मुखर्जी को दिखाई गई थी।

पत्र के सार्वजनिक होने के बाद से भरतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने चिदम्बरम के इस्तीफे की मांग तेज कर दी है। पार्टी ने यहां तक कहा है कि संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार के भीतर गृह युद्ध की स्थिति बन गई है।

इस बीच, केंद्रीय कानून मंत्री सलमान खुर्शीद ने कहा कि केंद्रीय वित्त मंत्रालय द्वारा प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) को भेजा गया पत्र एक कनिष्ठ अधिकारी द्वारा भेजा गया सार संक्षेप भर है और यह चिंता का कोई कारण नहीं है।

खुर्शीद ने संवाददाताओं से कहा, “मैंने वह पत्र देखा है। मैं नहीं समझता कि इसमें इस तरह का कोई बड़ा मुद्दा है, जिसके लिए हमें चिंता जाहिर करनी चाहिए।”

पत्र की कानूनी वैधता के बारे में पूछे जाने पर खुर्शीद ने संवाददाताओं से कहा कि फिलहाल इस पर कोई टिप्पणी कर पाना सम्भव नहीं है।

खुर्शीद ने कहा कि यह पत्र कनिष्ठ स्तर के कुछ अधिकारियों द्वारा तैयार किया गया है। उन्होंने कहा, “यह एक सार संक्षेप है और सार संक्षेप में कभी-कभी व्यक्ति आगे बढ़कर अपनी राय दे देता है। इस राय का क्या महत्व है, इस पर हम चर्चा के दौरान विचार करेंगे।”

खुर्शीद ने कहा, “मैं समझता हूं कि कुछ लोग इस पत्र को बढ़ाचढ़ाकर पेश कर रहे हैं। इसमें वास्तव में ऐसा कुछ नहीं है।”

खुर्शीद ने कहा कि उनका मंत्रालय किसी दस्तावेज पर या किसी मुद्दे पर तभी अपने विचार देगा, जब उससे इसके लिए अनुरोध किया जाएगा।

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