नई दिल्ली ।। अन्‍ना हजारे के आंदोलन पर निशाना साधते हुए कांग्रेस ने कहा है कि “उनका आंदोलन एक सांप्रदायिक आंदोलन है और इस आंदोलन को राष्‍ट्रीय स्‍वयंसेवक संघ [आरएसएस] और औद्योगिक घरानों का समर्थन प्राप्त है।” इससे पहले कांग्रेस की ओर से कहा गया था कि अन्‍ना के आंदोलन के पीछे अमेरिका का हाथ है, लेकिन इस आरोप को वापस लेते हुए अब आरएसएस के गुप्‍त समर्थन की बात कही जा रही है।

पार्टी प्रवक्‍ता राशिद अल्‍वी ने कहा कि “आरएसएस और वीएचपी [विश्‍व हिंदू परिषद] इस आंदोलन के पीछे हो सकते हैं और भाजपा इसका राजनीतिक फायदा उठाने के लिए बेकरार है।”

पार्टी के दूसरे नेता भी अन्‍ना के आंदोलन को आरएसएस से जोड़ रहे हैं। उनका आरोप है कि हजारे को भाजपा शासित राज्‍यों से पैसे मिल रहे हैं, खास कर गुजरात और मध्‍य प्रदेश से।

नेताओं का यह भी कहना है कि हिंदुत्‍व के मुद्दे पर जुड़े आप्रवासी भारतीय [एनआरआई] भी अन्‍ना के आंदोलन के साथ हैं।

कांगेस के एक वरिष्‍ठ नेता ने तो यहां तक कहा कि इस आंदोलन में मुस्लिमों की गैर मौजूदगी से भी उनकी बात को बल मिलता है। उन्‍होंने सवाल किया कि आखिर मुस्लिम समुदाय अन्ना के आंदोलन से दूर क्‍यों है? 

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