नई दिल्ली ।। हाल ही में उत्तर प्रदेश में गन्ने के समर्थन मूल्य में की गई वृद्धि पर चिंता जाहिर करते हुए प्रदेश के चीनी मिल मालिकों के संघ ने कहा कि वह इसके खिलाफ इलाहाबाद उच्च न्यायालय में याचिका दायर करेंगे।

इसके साथ ही संघ ने कहा कि गन्ने का मूल्य बढ़ाए जाने के कारण राज्य में चीनी की उत्पादन लागत 29 रुपये प्रति किलोग्राम से बढ़कर 34 रुपये हो जाएगी। देश के सबसे बड़े गन्ना उत्पादक राज्य उत्तर प्रदेश की मायावती सरकार ने वर्तमान 2011-12 मौसम के लिए गन्ने का समर्थन मूल्य बढ़ाकर 235 रुपये से 250 रुपये प्रति क्विंटल कर दिया है।

उत्तर प्रदेश चीनी मिल संघ के सचिव श्यामल गुप्ता ने दिल्ली में मंगलवार को संवाददाताओं से कहा, “चीन मिल इतनी ऊंची कीमत किसानों को कैसे दे पाएंगे? हम इलाहाबाद उच्च न्यायालय में सरकार के इस फैसले को निरस्त करने तथा एक अंतरिम मूल्य तय करने के लिए याचिका दायर करेंगे।”

गुप्ता ने गन्ने का समर्थन मूल्य बढ़ाए जाने को एक राजनीतिक फैसला बताया। उल्लेखनीय है कि उत्तर प्रदेश में अगले साल विधानसभा चुनाव होने वाला है।

भारतीय चीनी मिल संघ (इसमा) के महानिदेशक अविनाश वर्मा ने कहा, “उत्तर प्रदेश सरकार ने गन्ने का समर्थन मूल्य 2009-10 के 165 रुपये प्रति क्विंटल से बढ़ाकर 2010-11 में 205 रुपये प्रति क्विंटल कर दिया। इसके बाद फिर 2011-12 में इसे बढ़ाकर गन्ने की अगेती किस्म के लिए 250 रुपये प्रति क्विं टल, सामान्य किस्म के लिए 240 रुपये प्रति क्विंटल और सामान्य से नीचे की किस्म के लिए 235 रुपये प्रति क्विंटल कर दिया। इस प्रकार दो सालों में राज्य सरकार ने परामर्शी मूल्य में 46 फीसदी की वृद्धि कर दी है।”

उन्होंने कहा कि समर्थन मूल्य में वृद्धि से चीनी मिलों पर 2010-11 की तुलना में देनदारी 2011-12 में 2,500 करोड़ रुपये बढ़ जाएगी।

उन्होंने कहा कि समर्थन मूल्य बढ़ाए जाने के कारण चीनी उत्पादन की लागत वर्तमान 29 रुपये प्रति किलो से बढ़कर 34 रुपये प्रति किलो हो जाएगी। इसके कारण उत्तर भारत में उपभोक्ताओं को चीनी लगभग 37 रुपये प्रति किलो की दर से मिल पाएगी।

गुप्ता ने कहा कि यदि चीन के मूल्य को किसी भी प्रकार बढ़ने नहीं दिया गया तो प्रति किलो चार से पांच रुपये का नुकसान होगा और इस मौसम में ही उत्तर प्रदेश के चीनी मिलों को लगभग 3,000 करोड़ रुपये का नुकसान हो जाएगा। और उत्तर प्रदेश की चीनी मिलों के सामने अस्तित्व का संकट खड़ा हो सकता है।

उन्होंने सरकार से मांग की कि सरकार समर्थन मूल्य तय करने की प्रणाली में सुधार करे और इसे चीनी के मूल्य से जोड़ने की प्रक्रिया का विकास करे, जिसमें चीनी की कीमत बढ़ने पर गन्ना उत्पादकों को भी अधिक कीमत मिल सके।

उत्तर प्रदेश में इस मौसम में 66 लाख टन चीनी के उत्पादन का अनुमान है।

उत्तर प्रदेश चीनी मिल संघ के सचिव गुप्ता ने कहा कि उत्तर प्रदेश चीनी उद्योग, “राज्य सरकार गन्ने की कीमत तय करने के अपने अधिकार को छोड़ना नहीं चाहती है। इसके कारण प्रदेश के चीनी मिलों के लिए कारोबार में बने रहना कठिन होता जा रहा है।”

इस्मा के महानिदेशक वर्मा ने चीनी उद्योग को नियंत्रक किए जाने के एक सवाल के जवाब में कहा कि इसके लिए तीन कदम उठाए जा सकते हैं। पहला, प्रत्येक मिल को अपने कुल उत्पादन का 10 फीसदी सरकार को लेवी के तौर दिए जाने की बाध्यता समाप्त हो। दूसरा, सरकार द्वारा चीनी के बाजार भाव को कम रखने के लिए नियमित रूप से बाजार में चीनी जारी करना समाप्त हो और तीसरा, गन्ने के मूल्य को चीनी के मूल्य के कुछ निश्चित हिस्से के रूप में जोड़ दिया जाए।

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