नई दिल्ली ।। दिल्ली उच्च न्यायालय ने पूर्व केंद्रीय दूरसंचार मंत्री, सुखराम की याचिका पर शुक्रवार को केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) को नोटिस जारी किया। सुखराम ने भ्रष्टाचार के मामले में एक निचली अदालत द्वारा पांच वर्ष की सश्रम कारावास की सजा सुनाए जाने को उच्च न्यायालय में चुनौती दी है।
सुखराम ने इस आधार पर उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया है कि निचली अदालत ने उन्हें गलत तरीके से दोषी ठहराया है, जबकि वह स्वास्थ्य सम्बंधी समस्याओं से पीड़ित हैं। उच्च न्यायालय ने सीबीआई को नोटिस जारी कर सोमवार तक जवाब मांगा है।
सुखराम के वकील अरविंद निगम ने कहा, “निचली अदालत के आदेश को खारिज कर दिया जाना चाहिए, क्योंकि उसने उनके मुवक्किल को गलत तरीके से दोषी ठहराया है। अदालत ने जेल की सजा सुनाते समय कुछ दस्तावेजों को देखा तक नहीं।”
निगम ने कहा कि निचली अदालत ने उनके मुवक्किल को केवल अनुमान के आधार पर दोषी ठहरा दिया।
सुखराम के तर्क को संज्ञान में लेते हुए न्यायमूर्ति सुरेश कैट ने सीबीआई को नोटिस जारी किया। न्यायालय ने सुखराम की चिकित्सा रिपोर्ट भी मांगी, क्योंकि उन्होंने स्वास्थ्य और अधिक उम्र के आधार पर सजा निलम्बित करने की मांग की है।
सुखराम, पी.वी. नरसिम्हा राव के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार में दूरसंचार मंत्री थे। उन्हें 1996 में एक दूरसंचार कम्पनी को केबल का ठेका देने के एवज में तीन लाख रुपये रिश्वत लेने के लिए 18 नवम्बर को दोषी ठहराया गया।
सीबीआई के विशेष न्यायाधीश आर.पी. पांडे ने सरकारी पद का दुरुपयोग करने के लिए 19 नवम्बर को उन्हें पांच वर्ष के कारावास की सजा सुनाई और उन्हें तत्काल हिरासत में लेकर तिहाड़ जेल भेज दिया गया। न्यायालय ने उनपर चार लाख रुपये का जुर्माना भी लगा दिया।
सुखराम (86) को भ्रष्टाचार के मामले में यह तीसरी सजा मिली है। इसके पहले 2002 और 2009 में भ्रष्टाचार के दो मामलों में उन्हें दोषी पाया गया था लेकिन वह जेल से बाहर थे।