गुवाहाटी ।। सेना की एक अदालत ने शनिवार को पूर्व सैन्य सचिव लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत्त) अवधेश प्रकाश को पश्चिम बंगाल के सुकना सैन्य प्रतिष्ठान के वर्ष 2008 के एक भूमि घोटाले के सिलसिले में दोषी करार देते हुए बर्खास्त कर दिया। 

ऐसी कठोर अनुशासनात्मक कार्रवाई का सामना करने वाले वह सेना के अब तक के सबसे लेफ्टिनेंट जनरल हैं और इस मामले में वह दूसरे ऐसे व्यक्ति हैं, जिन्हें सेना की अदालत ने दोषी पाया है।

सेना के प्रवक्ता एस.एस. फोगत ने कहा, “सैन्य अदालत ने लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत्त) अवधेश प्रकाश को उनके खिलाफ चार आरोपों में से तीन में दोषी पाया है। उन्हें सेना से बर्खास्त कर दिया गया है तथा पेंशन व अन्य लाभों से वंचित कर दिया जाएगा। इसके अलावा ओहदा और अन्य अलंकरण भी उनसे छीन लिए जाएंगे।”

सैन्य सूत्रों ने आईएएनएस को बताया कि सैन्य अदालत की सुनवाई गुवाहाटी के बाहर नारंगी में स्थित एक सैन्य केंद्र में हुई। सैन्य अदालत ने लेफ्टिनेंट जनरल फिलिप कैमोस की अध्यक्षता में शुक्रवार को सुनवाई पूरी की और अवधेश प्रकाश को तीन मामलों में दोषी पाया। इसमें किसी अधिकारी द्वारा इरादतन धोखा देने एवं अशोभनीय आचरण करने का एक आरोप भी शामिल है। उन्हें हालांकि आर्थिक लाभ लेने के चौथे आरोप से बरी कर दिया गया है। 

पूर्व प्रभाव से सेना से बर्खास्त होने का अर्थ यह होता है कि लेफ्टिनेंट जनरल अवधेश प्रकाश का ओहदा समाप्त हो जाएगा और उन्हें सेना से निकाल दिया जाएगा। भारतीय सेना के किसी सेवानिवृत्त अधिकारी का, सेवा के दौरान किए गए अपराधों के लिए सेवानिवृत्ति के बाद तीन वर्षो की अवधि तक कोर्ट मार्शल किया जा सकता है। अवधेश प्रकाश 31 जनवरी, 2010 को सेवानिवृत्त हुए थे।

इस घोटाले के तहत पश्चिम बंगाल में स्थित सुकना सैन्य केंद्र से लगी 71 एकड़ भूमि एक शैक्षणिक संस्थान स्थापित करने के लिए एक निजी न्यास को हस्तांतरित की गई थी।

सेना ने इस वर्ष जनवरी में इसी मामले में एक अन्य वरिष्ठ अधिकारी और 33वीं कोर के कमान अधिकारी लेफ्टिनेंट जनरल पी.के. रथ को दंडित किया था, जिसके तहत उनकी वरिष्ठता कम कर दी गई थी और पेंशन में कुछ कटौती कर दी गई थी।

सेना द्वारा 2010 में गठित एक जांच दल ने अवधेश प्रकाश और रथ, दोनों को आरोपित किया था। 

यद्यपि तत्कालीन सेना प्रमुख जनरल दीपक कपूर चाहते थे कि मात्र एक प्रशासनिक कार्रवाई करके अवधेश प्रकाश को छोड़ दिया जाए। लेकिन रक्षा मंत्री ए.के. एंटनी ने हस्तक्षेप किया और उनके कोर्ट मार्शल का आदेश दिया। अवधेश प्रकाश उस समय सेना प्रमुख के कार्यालय में सैन्य सचिव थे।

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