नई दिल्ली ।। सर्वोच्च न्यायालय ने मंगलवार को केंद्र सरकार को निर्देश दिए कि मृत्युदंड का सामना कर रहे दोषियों की राष्ट्रपति के यहां लम्बित दया याचिकाओं के विवरण पेश किए जाएं। 

सर्वोच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति जी.एस. सिंघवी और न्यायमूर्ति एस.जे. मुखोपाध्याय की पीठ ने कहा कि राष्ट्रपति प्रतिभा पाटील के यहां वर्षो से लम्बित सभी 17 दया याचिकाओं का परीक्षण किया जाएगा। दया याचिकाओं में मृत्युदंड को आजीवन कारावास में बदलने की याचना की गई है।

न्यायालय ने कहा, “मुद्दे के महत्व को और इस सच्चाई को ध्यान में रखते हुए कि तमाम लोग न्यायालय जाने की स्थिति में नहीं है, जैसा कि याचिकाकर्ता (देवेंद्र पाल सिंह भुल्लर) द्वारा इस मामले में कहा गया है, हमने वरिष्ठ अधिवक्ता राम जेठमलानी और टी.आर. अंध्यारुजिना से न्यायालय की मदद करने का अनुरोध किया है और उन्होंने अनुरोध स्वीकार कर लिया है।”

दया याचिकाओं पर निर्णय लेने में हुए भारी विलम्ब पर सुनवाई का दायरा बढ़ाने सम्बंधी न्यायालय का यह आदेश भुल्लर द्वारा दायर एक याचिका की सुनवाई के दौरान दिया गया। भुल्लर ने राष्ट्रपति द्वारा आठ वर्षो बाद अपनी दया याचिका खारिज किए जाने को सर्वोच्च न्यायालय में चुनौती दी है।

भुल्लर को दिल्ली में 1993 में हुए एक बम विस्फोट के लिए मौत की सजा सुनाई गई थी। विस्फोट में नौ व्यक्ति मारे गए थे।

भुल्लर ने दया याचिका 14 जनवरी, 2003 को दायर किया था जिसे राष्ट्रपति द्वारा 25 नवंबर को खारिज कर दिया गया था।

अदालत ने अतिरिक्त महाधिवक्ता हरिन रावल से कहा कि वह अदालत को बताएं कि अब तक कितनी दया याचिकाएं राष्ट्रपति और राज्यपालों के समक्ष दायर की गई हैं। किन मामलों में मृत्युदंड को बदला गया है और ऐसा कितनी बार हुआ है। 

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