नई दिल्ली ।। सर्वोच्च न्यायालय ने सोमवार को एक जनहित याचिका पर सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे के साथ-साथ महाराष्ट्र सरकार और केंद्र सरकार को नोटिस जारी किए।

याचिका में अन्ना हजारे के हिंद स्वराज ट्रस्ट को केंद्र सरकार द्वारा दिए गए धन में कथित धांधली की जांच केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) से कराए जाने की मांग की गई है।

उधर, सामाजिक कार्यकर्ता मेधा पाटकर ने कथित भ्रष्टाचार के आरोप पर अन्ना हजारे का बचाव करते हुए कहा कि वह ईमानदार व्यक्ति हैं और जांच के लिए तैयार हैं।

अन्ना हजारे जिनका पूरा नाम किशन बाबूराव हजारे है, के खिलाफ सीबीआई जांच की मांग करते हुए याचिका एक वकील मनोहर लाल शर्मा ने दायर की थी।

सर्वोच्च न्यायालय ने केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय के तहत कार्यरत स्वायत्त एजेंसी काउंसिल फॉर एडवांसमेंट ऑफ पीपुल्स एक्शन एंड रूरल टेक्नोलॉजी (सीएपीएआरटी) को भी नोटिस जारी किया।

सर्वोच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति आफताब आलम और न्यायमूर्ति रंजना देसाई की खंडपीठ ने अधिवक्ता मनोहर लाल शर्मा द्वारा दायर याचिका पर नोटिस जारी करते हुए कहा कि सीबीआई जांच अदालत की ‘निगरानी और नियंत्रण’ में कराई जाए।

याचिकाकर्ता ने एक हलफनामा दायर कर कहा है कि महाराष्ट्र के रालेगण सिद्धि गांव स्थित अन्ना हजारे का ट्रस्ट आठ फरवरी 1995 को स्थापित हुआ था। 500 रुपये की पूंजी के साथ 21 फरवरी 1995 को इसके पंजीकरण के लिए आवेदन दिया गया था और चार अप्रैल 1995 को इसे पंजीकृत कर लिया गया।

याचिका के अनुसार ट्रस्ट को केंद्र सरकार से 45 लाख रुपये का चेक 31 मार्च 1995 को प्राप्त हुआ था जो वित्तवर्ष 1994-95 में खर्च के लिए दिया गया था। ट्रस्ट को महाराष्ट्र सरकार ने भी 65.85 लाख रुपये वर्ष 1995-96 के लिए दिए थे।

याचिकाकर्ता ने कहा है, “यह, प्रतिवादी संख्या चार (अन्ना) द्वारा अपने सहयोगियों/समूहों, राजनीतिक मित्रों के साथ मिलकर सरकारी खजाने के साथ धोखाधड़ी, आपराधिक विश्वासघात करने का स्पष्ट मामला है। इस मामले में 2005 में सावंत आयोग की रिपोर्ट आने के बाद भी राज्य/केंद्र सरकारों ने अब तक कोई कार्रवाई नहीं की।”

उन्होंने कहा कि 2005 में बी.पी. सावंत आयोग की रिपोर्ट से खुलासा हुआ कि ट्रस्ट को 1995 में सीएपीएआरटी से 75 लाख रुपये मिले थे। यह रकम सीएपीएआरटी के पात्रता मानदंड के विरुद्ध हासिल की गई। इसके अलावा 2001 में सीएपीएआरटी ने ग्रामीण सहायता के नाम पर अन्ना हजारे को पांच करोड़ रुपये जारी किए थे।

उधर, मेधा पाटकर ने कहा, “इस तरह के कई आरोप लगाए जाते रहेंगे..हर कोई जानता है कि अन्ना भ्रष्ट व्यक्ति नहीं हैं।”

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