नई दिल्ली ।। वित्तीय अनियमितता के आरोपों से घिरे इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) के पूर्व प्रमुख ललित मोदी को करारा झटका लगा है।
सर्वोच्च न्यायालय ने सोमवार को खुद केखिलाफ जांच के लिए एक स्वतंत्र एजेंसी गठित करने सम्बंधी उनकी याचिका खारिज कर दी।
न्यायमूर्ति जे.एम. पांचाल और न्यायामूर्ति एच.एल. गोखले की खंडपीठ ने कहा कि जांच समिति पर केवल शंका करना मामले की स्वतंत्र पंचाट से जांच कराने का आधार नहीं हो सकता। न्यायालय ने कहा कि स्वतंत्र जांच एजेंसी की मांग के लिए एक जांच में पक्षपात का ‘वास्तविक खतरा’ होना चाहिए।
उल्लेखनीय है कि मोदी ने अपने ऊपर लगे आरोपों की जांच कर रही भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) की अनुशासनात्मक समिति के लिए सदस्यों के चुनाव को चुनौती दी थी।
इस समिति में याचिका दाखिल करने के समय आईपीएल के प्रमुख रहे चिरायु अमीन, बीसीसीआई उपाध्यक्ष (उत्तर क्षेत्र) अरुण जेटली और मध्य क्षेत्र से ज्योतिर्रादित्य सिंधिया शामिल हैं। मोदी ने अपनी याचिका में कहा था कि तीनों अधिकारी उनके खिलाफ पूर्वाग्रह से ग्रसित हैं।
मोदी ने इस सम्बंध में सितम्बर 2010 में याचिका दायर की थी। उस समय आईपीएल के प्रमुख चिरायु अमीन थे लेकिन अब उनकी जगह राजीव शुक्ला ने ले ली है।
बीसीसीआई ने मई 2010 में मोदी को बर्खास्त कर दिया था। उन पर आईपीएल फ्रेंचाइजी टीमों के गठन में धांधली का आरोप है। साथ ही उन पर आईपीएल के लिए विज्ञापन दरों की बिक्री में भी घपला का आरोप है।