हैदराबाद ।। पृथक तेलंगाना राज्य की मांग को लेकर जारी जन हड़ताल बुधवार को 16वें दिन में प्रवेश कर गई। आंदोलन ने बुधवार को हिंसक रुख अख्तियार कर लिया प्रदर्शनकारियों ने एक बस को आग के हवाले कर दिया और एक रेलवे काउंटर में आग लगा दी। हैदराबाद में आंदोलनकारियों ने कई जगह सड़क यातायात बाधित किया। इस दौरान कई नेताओं और कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार कर लिया गया।

उधर केंद्र सरकार पर दबाव बनाने के लिए तेलगू देशम पार्टी (तेदेपा) के 32 विधायकों ने बुधवार को इस्तीफा दे दिया।

वहीं, तेलंगाना राष्ट्र समिति (टीआरएस) के के. टी. रामा राव ने केंद्र और राज्य सरकार को चेताया कि यदि पृथक राज्य के गठन की प्रक्रिया शुरू नहीं की गई तो हालात बेकाबू हो सकते हैं। जबकि राज्य के एक मंत्री एवं दो सांसदों को तेलंगाना समर्थकों के गुस्से का सामना करना पड़ा।

तेदेपा के विधायकों ने दिन भर विचार-विमर्श करने के बाद शाम के समय विधानसभा पहुंचे और अपना इस्तीफा विधानसभा सचिव को सौंप दिया। यह पिछले तीन महीनों में दूसरी बार है जब तेदेपा के विधायकों ने इस्तीफा दिया है। उन्होंने सत्तारूढ़ कांग्रेस के विधायकों पर दबाव बनाने के लक्ष्य से अपना इस्तीफा सौंपा है।

तेदेपा के नेता ई. दयाकर राव ने पत्रकारों से कहा कि उन्होंने अपना इस्तीफा सौंप दिया है। तेदेपा के चार विद्रोही विधायक टीआरएस के 11 विधायकों के साथ अपना इस्तीफा पिछले महीने ही दे चुके हैं।

ज्ञात हो कि तेलंगाना आंदोलन की अगुवाई कर रही तेलंगाना संयुक्त कार्रवाई समिति ने क्षेत्र के सभी विधायकों से दोबारा अपना इस्तीफा देने के लिए कहा है।

पुलिस के मुताबिक, जामिया उस्मानिया रेलवे स्टेशन के नजदीक मंगलवार रात करीब एक बजे अज्ञात लोगों ने वॉल्वो बस में आग लगा दी, जिसमें बस पूरी तरह नष्ट हो गई। यह एक निजी ऑपरेटर की बस थी जिसे एक सॉफ्टवेयर कम्पनी के कर्मचारियों को लाने-ले जाने के लिए इस्तेमाल किया जाता था।

लगभग इसी समय हुई एक अन्य घटना में संदिग्ध तेलंगाना आंदोलनकारियों ने सीताफलमंडी रेलवे स्टेशन पर एक बुकिंग काउंटर में आग लगा दी। पुलिस के घटनास्थल पर पहुंचने से पहले ही हमलावर वहां से फरार हो गए।

एक अन्य घटना में नलगोंडा जिले में कुछ अज्ञात लोगों ने यात्रियों को जबरन नीचे उतार दिया और उसे आग के हवाले कर दिया। बस हैदराबाद से विजयवाड़ा जा रही थी।

इस बीच, तेलंगाना कार्य समिति (जेएसी) के आह्वान पर सड़क यातायात बाधित कर रहे टीआरएस के प्रमुख के. चंद्रशेखर राव के बेटे रामा राव सहित आंदोलन से जुड़े कई नेताओं एवं कार्यकर्ताओं को पुलिस ने हिरासत में ले लिया। हिरासत में लिए जाने से ठीक पहले उन्होंने केंद्र और राज्य सरकार को चेताया कि तेलंगाना में हालात नियंत्रण से बाहर हो सकते हैं।

मामले में केंद्र से हस्तक्षेप की मांग करते हुए के. टी. रामा राव ने कहा, “केंद्र सरकार को मामले में हस्तक्षेप करना चाहिए, लोगों का गुस्सा शांत करना चाहिए। अन्यथा चीजें हाथ से बाहर जा सकती हैं और इसके लिए आप जिम्मेदार होंगे। इससे पहले कि तेलंगाना में हिंसा भड़के, इस दिशा में कदम उठाएं।”

मुख्यमंत्री किरण कुमार रेड्डी की सरकार को चेतावनी देते हुए उन्होंने कहा, “रेड्डी सरकार जनभावना को दबाने की कोशिश कर रही है। कल यदि स्थिति हाथ से बाहर हो जाती है तो कोई भी इसे नहीं रोक पाएगा। आपके पास सैकड़ों पुलिसकर्मी हो सकते हैं, हमारे पास करोड़ों लोग हैं।”

हैदराबाद में आंदोलनकारियों ने कई जगह सड़क यातायात बाधित किया। जेएसी के नेताओं, टीआरएस, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और जेएसी के अन्य घटकों के सदस्य व्यस्त चौराहों पर बैठ गए, जिससे सड़क यातायात ठप्प हो गया। हैदराबाद और सिकंदराबाद में 100 जगहों पर सड़क यातायात रोको अभियान चलाया गया। इस दौरान दर्जनों नेताओं और कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार किया गया।

तेलंगाना समर्थकों ने अक्टूबर के दूसरे सप्ताह में हैदराबाद की घेराबंदी की चेतावनी दी है। टीआरएस के विधायक हरीश राव ने कहा कि वे अब हैदराबाद पर ध्यान केंद्रित करेंगे।

प्रदर्शन के दौरान राज्य के एक मंत्री एवं दो सांसदों को तेलंगाना समर्थकों के गुस्से का सामना करना पड़ा। आंदोलनकारी अलग राज्य के समर्थन में उनके इस्तीफे की मांग कर रहे थे।

नलगोंडा इलाके में अलग राज्य के लिए भूख हड़ताल कर रहे अध्यापकों के प्रति एकजुटता प्रदर्शित करने गए इन नेताओं पर कुर्सियां, जूते-चप्पल और पानी की बोतलें फेंकी गईं।

एक प्रत्यक्षदर्शी ने बताया कि आधारभूत संरचना मंत्री के. वेंकट रेड्डी और दो सांसदों जी. सुखेंद्र रेड्डी और के. राजगोपाल रेड्डी के बचाव में पुलिस एवं कांग्रेसी कार्यकर्ताओं को सामने आना पड़ा।

हड़तालियों को नियंत्रित करने के लिए पुलिस को लाठी चार्ज करना पड़ा। हड़तालियों ने वापस जाओ के नारे लगाए। इनका कहना था कि इस्तीफा स्वीकार होने के बाद ही वे यहां आएं।

क्षेत्र के अन्य 13 सांसदों के साथ इन दोनों ने भी जुलाई में अपना इस्तीफा भेज दिया था लेकिन लोकसभा अध्यक्ष मीरा कुमार द्वारा अभी तक उसे स्वीकार नहीं किया गया है।

हंगामे के कुछ ही समय पहले मंत्री वेंकट रेड्डी ने कहा कि वह एक अक्टूबर को अपना इस्तीफा दे देंगे।

वारंगल जिले में तेलंगाना समर्थकों ने इस्तीफे की मांग को लेकर एक अन्य मंत्री जी. सरैया के आवास पर तोड़फोड़ की। बाद में प्रदर्शनकारियों एवं पुलिस में झड़प हुई।

दूसरी तरफ कुछ नेता केंद्रीय मंत्री एवं आंध्र प्रदेश प्रभारी गुलाम नबी आजाद पर दबाव बढ़ाने के लिए दिल्ली में हैं। तेलंगाना पर निर्णय लेने के लिए नेताओं ने 30 सितम्बर अंतिम तिथि निर्धारित की है।

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