हैदराबाद ।। आंध्र प्रदेश में अलग तेलंगाना राज्य के लिए चल रहे आंदोलन की आंच मंगलवार को धीमी पड़ती नजर आई। सिंगारेनी में 35 दिनों बाद दोबारा कोयला उत्पादन शुरू हो जाने से जहां बिजली संकट खत्म होने की उम्मीद जगी, वहीं लम्बे समय से बंद स्कूल और कालेज खुल गए। परिवहन निगम की बसें फिर सड़कों पर दौड़ती नजर आईं। इस तरह क्षेत्र में जीवन पटरी पर लौटता दिखाई दिया।

आंदोलन के कमजोर पड़ने पर संयुक्त कार्य समिति (जेएसी) का गुस्सा सत्तारूढ़ कांग्रेस पर फूट पड़ा। जेएसी ने कांग्रेस पर आंदोलन में पूरी तरह साथ न देने का आरोप लगाया तो दूसरी ओर जन चेतना यात्रा लेकर क्षेत्र में पहुंचे भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी ने कांग्रेस नीत केंद्र सरकार पर तेलंगाना के लोगों को धोखा देने का आरोप लगाया।

सम्पूर्ण तेलंगाना क्षेत्र में 40 हजार से अधिक स्कूल मंगलवार को खुल गए। इस क्षेत्र में हैदराबाद सहित 10 जिले आते हैं। एक अधिकारी ने कहा कि हड़ताल के बाद स्कूल खुलने के पहले दिन दो लाख शिक्षक और करीब 52 लाख विद्यार्थी स्कूल आए। निजी स्कूल और कालेज तथा सरकारी स्कूल तो खुल चुके हैं, लेकिन सरकारी कनिष्ठ महाविद्यालय बुधवार से खुलेंगे।

कनिष्ठ महाविद्यालय के व्याख्याता मंगलवार को शिक्षा मंत्री पार्थ सारथी से मिले। उन्होंने तेलंगाना संयुक्त कार्य समिति (जेएसी) की सलाह से हड़ताल खत्म की। जेएसी अलग राज्य के लिए चल रहे आंदोलन का नेतृत्व कर रही है।

उधर, मुख्यमंत्री एन. किरन कुमार रेड्डी से सोमवार रात मुलाकात के बाद शिक्षकों ने अपनी हड़ताल समाप्त कर दी। मुख्यमंत्री ने उनकी सभी मांग मान ली लेकिन अलग राज्य की मांग को यह कहकर इंकार कर दिया कि यह उनके दायरे में नहीं आता है। इसके बाद जेएसी ने शिक्षा संस्थान को हड़ताल से अलग कर दिया।

शिक्षा संस्थानों के प्रबंधकों ने कहा कि वे शनिवार और अन्य छुट्टियों वाले दिन भी शैक्षिक सत्र लगाकर पाठ्यक्रम पूरा करेंगे। सरकार ने चेतावनी दी थी कि उन स्कूलों की मान्यता समाप्त कर दी जाएगी, जो मंगलवार से संचालन आरम्भ नहीं करेंगे।

जेएसी पर शिक्षा संस्थानों को हड़ताल से अलग करने का दबाव था, क्योंकि इससे बच्चों के एक शैक्षिक सत्र का नुकसान हो सकता था।

तेलंगाना के चार जिले में स्थित करीब 50 खदानों के मजदूर सोमवार आधी रात को काम पर लौट आए। श्रमिक संगठनों ने अस्थायी तौर पर आंदोलन बंद करने की घोषणा की है। सिंगारेनी में 35 दिनों बाद मंगलवार को दोबारा कोयले का उत्पादन शुरू होने से बिजली का संकट झेल रहे आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र और कर्नाटक सहित छह राज्यों को राहत मिली।

जेएसी के समन्वयक एम. कोडंडरम ने कम्पनी के प्रबंधन से बातचीत करने के बाद श्रमिक संगठनों की ओर से हड़ताल समाप्त करने की घोषणा की।

बातचीत के दौरान कम्पनी प्रबंधन इस बात के लिए भी सहमत हो गया कि मजदूर जितने दिन हड़ताल पर रहे हैं उसे विशेष अवकाश की श्रेणी में शामिल किया जाएगा तथा त्योहार के मौके पर बोनस भी दिया जाएगा। हड़ताल के दौरान दर्ज किए गए मामलों को भी वापस लेने का फैसला किया गया।

कोयले की कमी की वजह से ही आंध्र प्रदेश सहित अन्य राज्यों में घेरलू, औद्योगिक और कृषि इकाइयों में बिजली कटौती शुरू कर दी गई थी। हड़ताल की वजह से ताप बिजली घरों में बिजली का उत्पादन बुरी तरह से प्रभावित हुआ था।

सिंगारेनी कम्पनी के अधिकारियों का कहना है कि पहली पाली में करीब 22,000 मजदूरों ने अपनी उपस्थिति दर्ज कराई जबकि इसकी संख्या 40,000 होती है। उन्होंने कहा कि बुधवार तक ही सामान्य स्थिति बहाल होगी।

हड़ताल की वजह से सिंगारेनी कम्पनी में 600 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ। करीब 70 हजार सिंगानेरी मजदूर 13 सितम्बर से हड़ताल पर थे।

आंध्र प्रदेश सड़क परिवहन निगम (एपीएसआटीसी) के कर्मचारियों ने 28 दिनों के बाद हड़ताल से अलग होने का ऐलान पहले ही कर दिया था।

कांग्रेस पर फूटा गुस्सा :

सत्तारूढ़ कांग्रेस पार्टी के नेताओं का सहयोग नहीं मिलने पर पृथक तेलंगाना राज्य के लिए किए जा रहे आंदोलन के कमजोर पड़ने पर जेएसी का गुस्सा मंगलवार को कांग्रेस पर फूट पड़ा। क्षेत्र में कांग्रेस के मंत्रियों और विधायकों के अनुपस्थिति से आंदोलन को जारी रखना मुश्किल हो गया जिससे हड़ताली कर्मचारी और शिक्षक 35 दिनों के बाद काम पर लौट आए।

जेएसी ने घोषणा की है कि पृथक राज्य के गठन में रोड़ा बनी कांग्रेस पार्टी पर अब निशाना साधा जाएगा। जेएसी कांग्रेसी नेताओं से खुलकर ‘जन हड़ताल’ का समर्थन करने की उम्मीद कर रही थी और उनके इस्तीफे से केंद्रीय नेतृत्व पर दबाव बनाकर तेलंगाना राज्य का गठन कराना चाहती थी। केवल एक मंत्री और नौ सांसदों के अलावा कोई आगे नहीं आया।

मंत्रियों द्वारा कर्मचारियों से हड़ताल को समाप्त करने के लिए दो दिन पहले की गई अपील के कारण जेएसी को गुस्सा आ गया। जेएसी के संयोजक एम. कोडंडरम इस बात से सहमत नहीं हैं कि आंदोलन कमजोर हुआ है। उन्होंने कहा, “किसी भी विभाग में हड़ताल समाप्त नहीं हुई है। केवल आंदोलन का स्वरूप बदला है।”

तेलंगाना राष्ट्र समिति (टीआरएस), भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और कुछ अन्य पार्टियों वाली जेएसी ने कांग्रेस पर निशाना साधने का फैसला किया है। मंत्रियों और कांग्रेसी नेताओं के घरों पर डेरा डालकर उन पर दबाव बनाने की योजना बनाई गई है।

इस बीच, भाजपा नेता लालकृष्ण आडवाणी की जनचेतना यात्रा मंगलवार शाम आंध्र प्रदेश के आदिलाबाद पहुंची। यहां एक नुक्कड़ सभा को सम्बोधित करते हुए उन्होंने कांग्रेस के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार पर अलग राज्य गठन के वादे से पीछे हटने और तेलंगाना क्षेत्र के लोगों को धोखा देने का आरोप लगाया।

उन्होंने कहा कि नौ दिसम्बर 2009 को केंद्र सरकार ने तेलंगाना राज्य के गठन का वादा किया था। अब वह अपने वादे से पीछे हट रही है। आडवाणी ने दोहराया कि सरकार यदि तेलंगाना राज्य गठन के लिए संसद के शीतकालीन सत्र में विधेयक लाती है तो भाजपा उसका समर्थन करने को तैयार है।

Rate this post

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here