हैदराबाद ।। आंध्र प्रदेश में पृथक तेलंगाना राज्य की मांग को लेकर आम हड़ताल शुक्रवार को 25वें दिन भी जारी है। हड़ताल की वजह से प्रतिदिन करोड़ों का नुकसान हो रहा है।

तेलंगाना राज्य बनाने को लेकर केंद्र सरकार पर दबाव बनाने के लिए सरकारी कर्मचारी, शिक्षक, सिंगारेनी के कोयला खदानों के मजदूर और राज्य सड़क परिवहन निगम (आरटीसी) के कर्मचारी हड़ताल में शामिल हैं।

केंद्र सरकार का मानना है कि इस मसले को सुलझाने के लिए और अधिक समय की जरूरत है।

दशहरा त्योहार के बाद प्रदर्शनकारियों ने शुक्रवार को एक बार फिर तेलंगाना में अपनी हड़ताल शुरू कर दी। तेलंगाना क्षेत्र के विभिन्न जिलों में कर्मचारियों की ओर से रैलियां निकाली जा रही हैं और बंद का आयोजन किया जा रहा है।

हैदराबाद और तेलंगाना के नौ जिलों में आरटीसी की 10,000 से अधिक बसें सड़कों से लगातार 11वें दिन भी दूर रहीं। उधर निजी बस मालिकों की मदद से हैदराबाद में प्रशासन सड़कों पर लगभग 200 बसें चलवा रहा है लेकिन अन्य इलाकों में परिवहन व्यवस्था ठप्प हो गई है।

आरटीसी के अधिकारियों के मुताबिक हड़ताल की वजह से प्रतिदिन सात करोड़ रुपये का नुकसान हो रहा है।

राज्य के सिंगारेनी कोइलरिज में भी हड़ताल का क्रम जारी है। यहां के लगभग 70,000 कर्मचारियों में से अधिकांश हड़ताल को अपना समर्थन दे रहे हैं। करीब 50 खदानों में कोयले के उत्पादन का काम बुरी तरह से प्रभावित हुआ है।

यदि देखा जाए तो सामान्य दिनों में कम्पनी औसतन प्रतिदिन 150,000 टन कोयले का उत्पादन करती है लेकिन इसके उलट केवल 36,000 टन ही उत्पादन सम्भव हो पा रहा है।

इस बीच अपने अभियान को और तेज करते हुए तेलंगाना संयुक्त कार्रवाई समिति (जेएसी) ने नौ, 10 तथा 11 अक्टूबर को रेल रोकने का ऐलान किया है।

नेशनल थर्मल पॉवर कार्पोरेशन (एनटीपीसी) को इस बात की आशंका है कि रेल रोको अभियान की वजह से कोयले की आपूर्ति नहीं हुई तो रमागुंडम थर्मल स्टेशन में बिजली का उत्पादन प्रभवित हो सकता है।

सिंगारेनी में हड़ताल की वजह से एनटीपीस फिलहाल अन्य राज्य से कोयला मंगाकर काम चला रही है। बिजली का उत्पादन पहले ही 10.9 करोड़ यूनिट से गिरकर 7.6 करोड़ तक पहुंच गई है।

सिंगारेनी के अधिकारियों के मुताबिक हड़ताल की वजह से प्रतिदिन 25 करोड़ रुपये के राजस्व का नुकसान हो रहा है।

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