नई दिल्ली ।। उपभोक्ता मामलों, खाद्य तथा सार्वजनिक वितरण मंत्री प्रोफेसर के वी थॉमस ने कहा है कि सरकार सभी को खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून लागू करने के लिए वचनबद्ध है।

भारतीय चावल अनुसंधान संस्थान द्वारा आयोजित एक गोष्ठी का बुधवार को उद्घाटन करते हुए प्रोफेसर थॉमस ने बताया कि प्रस्तावित कानून खाद्य सुरक्षा के दृष्टिकोण के प्रति परिवर्तन होगा और लोगों के नज़रिये में आमूल चूल परिवर्तन आएगा। यह एक व्यापक प्रयास होगा जिसमें जीवन के दृष्टिकोण में अंतर आएगा और कमजोर वर्गो के लोगों के प्रति विशेष जोर देने के साथ-साथ खाद्य एवं पोषाहार सुरक्षा के प्रति दृष्टिकोण में व्यापक बदलाव आएगा।

सभी को खाद्य सुरक्षा उपलब्ध कराने की सरकार की प्राथमिकता पर जोर देते हुए प्रोफेसर थॉमस ने बताया कि प्रारूप विधेयक में लक्ष्य जनता को रियायती मूल्यों पर खाद्यान्न उपलब्ध कराने का अधिकार देने के लिए प्रारूप-विधेयक का प्रस्ताव है। इनमें प्राथमिकता वाले परिवारों और आम परिवारों की ओर विशेष ध्यान दिया जाएगा।

उन्होंने कहा कि इसमें प्रस्ताव किया गया है कि कुल ग्रामीण आबादी के 75 प्रतिशत और प्राथमिकता आवासों वाले 46 प्रतिशत आबादी से कम और कुल शहरी आबादी के 50 प्रतिशत और प्राथमिकता वाले परिवारों के 28 प्रतिशत से कम लोगों को इसके तहत लाया जाएगा।

खाद्य मंत्री ने बताया है कि गर्भवती महिलाओं के लिए पोषक सहयोग के बारे में विधेयक में प्रावधान है।

प्रोफेसर थॉमस ने बताया कि केन्द्र सरकार ने राज्य सरकारों और केन्द्र शासित प्रशासनों समेत विभिन्न वर्गो से भी प्रस्तावित खाद्य सुरक्षा कानून के बारे में व्यापक विचार विमर्श किया है और इस विधेयक एवं टिप्पणी और सुझ्झाव के लिए मंत्रालय की वेबसाइट पर भी उपलब्ध करा दिया गया है। विधेयक को जल्दी ही उपयुक्त विचार विमर्श के लिए संसद में पेश कर दिया जाएगा।

प्रोफेसर थॉमस ने बताया कि इस विधेयक को पारित करना बहुत चुनौती कार्य है। ग्रामीण तथा शहरी आबादी के व्यापक क्षेत्र को शामिल करने के लिए प्रस्तावित राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम पारित करने से पहले यह आवश्यक है कि खाद्यान्न भण्डारों का केन्द्रीय पूल में पर्याप्त भंडार हो।

सरकार, गैरसरकारी संगठनों, और अन्य संबद्ध संस्थाव को मिलकर काम करना चाहिए ताकि वांछित लक्ष्य को प्राप्त किया जा सके।

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