नई दिल्ली ।। सर्वोच्च न्यायालय ने मंगलवार को सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को 31 दिसम्बर तक सभी सरकारी विद्यालयों में शौचालय सुविधा उपलब्ध कराने का निर्देश दिया।

न्यायमूर्ति दलवीर भंडारी और न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा की पीठ ने कहा कि स्कूलों में यदि स्थायी सुविधाएं नहीं उपलब्ध कराई जा सकतीं तो 30 नवम्बर तक अस्थायी सुविधाएं हर हाल में सुलभ करा दी जाएं।

न्यायालय ने यह निर्देश एक याचिका की सुनवाई के दौरान दिया। याचिका में देश भर में सरकारी स्कूलों में पेयजल और शौचालय सुविधाएं सुलभ कराने की मांग की गई है।

न्यायमूर्ति भंडारी ने कहा कि अनुभवजन्य अध्ययनों से पता चला है कि ‘अभिभावक उन स्कूलों में लड़कियों को नहीं भेजते जहां शौचालय की सुविधा नहीं है।’

न्यायालय ने कहा, “यदि आप स्कूलों में तुरंत शौचालय की सुविधा उपलब्ध नहीं कराते तो छात्राओं की संख्या में कमी आएगी और यह शिक्षा का अधिकार अनुच्छेद 21ए का स्पष्ट उल्लंघन है।”

न्यायमूर्ति भंडारी ने कहा, “यदि आप बेहतर शौचालय की सुविधा उपलब्ध नहीं करा सकते तो आप शिक्षा का अधिकार देने वाले अनुच्छेद 21ए को कैसे लागू कर सकते हैं।”

न्यायालय को बताया गया कि सामान्यतौर पर पेयजल सुविधाएं सभी राज्यों और केंद्र शासित क्षेत्रों के सरकारी स्कूलों में सुलभ हैं।

न्यायालय ने मामले को सुनवाई के लिए पांच दिसम्बर को सूचीबद्ध करने का निर्देश दिया। राज्यों और केंद्र शासित क्षेत्रों से कहा गया है कि वे उसी दिन अस्थायी शौचालय सुविधाएं सुलभ कराने से सम्बंधित अपनी अनुपालन रिपोर्ट सौंपे।

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