थालसेरी, Hindi7.com ।। माकपा ने केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा स्वीकृत लोकपाल विधेयक को दंतहीन कहते हुए, इसे स्वीकार करने से इंकार कर दिया है। पार्टी की ओर से कहा गया है कि इसके दायरे से प्रधानमंत्री को बाहर रखना अस्वीकार्य है।

पार्टी महासचिव प्रकाश करात ने कहा कि “स्वीकृत लोकपाल विधेयक एक धोखा है, जबकि कांग्रेस ने खुद प्रभावशाली विधेयक लाने की बात कही थी। उन्होंने कहा कि वाम दल प्रभावी लोकपाल विधेयक के लिए अपना आंदोलन तेज करेंगे।” करात यहां दिवंगत कम्युनिस्ट नेता सी. एच. कनारन के जन्म शताब्दी समारोह का उद्घाटन करने आए थे।

करात ने कहा कि “विधेयक दंतहीन है और भ्रष्टाचार के मामलों को रोकने के लिए प्रभावी नहीं है।” लोकपाल के दायरे से प्रधानमंत्री को बाहर रखने के लिए कांग्रेस की आलोचना करते हुए उन्होंने कहा कि “कांग्रेस पार्टी ने यह तर्क पेश किया है कि यदि प्रधानमंत्री को इसमें शामिल कर लिया जाता है और उन पर भ्रष्टाचार का कोई आरोप लगता है, तो इससे सरकार के स्थायित्व पर असर पड़ेगा।”

करात ने कहा कि “भ्रष्टाचार के आरोपों में अभियोग से बचने के लिए प्रधानमंत्री के पास अब भी कोई शक्ति नहीं है।” उन्होंने रेखांकित किया कि प्रधानमंत्री पर भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम के तहत मुकदमा चलाया जा सकता है। इन्होंने कहा कि 1980, 1990 और 2001 में, जब केंद्र में गैर कांग्रेसी सरकारें थीं, तब कांग्रेस प्रधानमंत्री को लोकपाल के दायरे में लाने को तैयार थी, लेकिन अब वह इसका विरोध कर रही है।

विधेयक के इस प्रावधान की हंसी उड़ाते हुए कि “प्रधानमंत्री पर, पद से हटने के बाद लोकपाल के तहत अभियोग चलाया जा सकता है, करात ने कहा कि हमें कांग्रेस का आभारी होना चाहिए, जो उसने यह नहीं कहा कि किसी पूर्व प्रधानमंत्री पर, उनके निधन के बाद मुकदमा चलाया जाना चाहिए।”

उन्होंने कहा कि “जहां तक न्यायपालिका में भ्रष्टाचार का सवाल है, तो वाम दल न्यायपालिका में भ्रष्टाचार रोकने के लिए राष्ट्रीय न्यायिक आयोग और राजनीतिक व्यवस्था में भ्रष्टाचार रोकने के लिए चुनाव सुधार चाहते हैं।”

करात ने कालेधन के ऊपर कहा कि “भारतीयों द्वारा विदेशी बैंकों में जमा कराए गए काले धन को वापस लाने के लिए कानून बनाए जाने की जरूरत है।”

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