नई दिल्ली ।। केंद्रीय गृह मंत्री पी. चिदम्बरम ने शनिवार को कहा कि विरोध प्रदर्शन के लिए हिंसा का इस्तेमाल देश के लिए एक बड़ी चुनौती है।

राष्ट्रीय एकता परिषद [एनआईसी] की बैठक में चिदम्बरम ने कहा, “विरोध प्रदर्शन के लिए या बदलाव के लिए हिंसा का इस्तेमाल सबसे बड़ी चुनौती है। आतंकवाद और उग्रवाद भारतीय विचार के लिए खतरा है।”

चिदम्बरम ने यह भी कहा कि आतंकवादी संगठनों के हिंसक हमलों पर गौर करना स्वाभाविक है, लेकिन वामपंथी चरमवादियों और पूर्वोत्तर राज्यों में अलगाववादी संगठनों की विचारधारा प्रेरित हिंसा पर भी ध्यान दिया जाना चाहिए।

तीन वर्ष बाद हो रही एनआईसी की बैठक में साम्प्रदायिक हिंसा विधेयक पर चर्चा हो रही है। बैठक में चर्चा के अन्य मुद्दे हैं- धर्म के नाम पर युवाओं में कट्टरवादिता और किस तरह जाति ने उन्हें हिंसा के मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित किया।

चिदम्बरम ने कहा, “मैं इस परिषद से कहना चाहूंगा कि वह हमारा मार्गदर्शन करे कि एजेंडे में शामिल मुद्दों से कैसे निपटा जाए।”

चिदम्बरम ने कहा, “खासतौर से मैं आपसे यह पूछना चाहूंगा कि जो संस्थान हमारे पास हैं- सरकार और नागरिक समाज -क्या इन गम्भीर चुनौतियों से निपटने के लिए पर्याप्त हैं और यदि वे पर्याप्त नहीं हैं, तो हम इन संस्थानों को कैसे मजबूत बनाए या नए संस्थान स्थापित करें।”

इस बैठक में उपस्थित न रहने वाले मुख्यमंत्रियों में गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी, बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, तमिलनाडु की मुख्यमंत्री जे. जयललिता और उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री मायावती शामिल हैं। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने राज्य के वित्त मंत्री अमित मित्रा को अपने प्रतिनिधि के रूप में बैठक में हिस्सा लेने के लिए भेजा है।

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