कोलकाता ।। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के लिए बुधवार का दिन सौगातों भरा रहा। बनर्जी ने जहां भवानीपुर विधानसभा उपचुनाव में भारी मतों से जीत दर्ज की और बसीरहाट (उत्तर) सीट वाम मोर्चे से छीनने में कामयाब रहीं वहीं, कलकत्ता उच्च न्यायालय ने सिंगूर भूमि कानून को वैध ठहरा कर उन्हें एक बड़ी राहत दी।

एक वरिष्ठ निर्वाचन अधिकारी ने बुधवार को कहा, “ममता बनर्जी भवानीपुर से विधानसभा उपचुनाव जीत गई हैं। जीत का अंतर 54,213 मतों का रहा।” उनका मुकाबला कम्प्यूटर साइंस की प्रोफेसर और मार्क्‍सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) की उम्मीदवार नंदिनी मुखर्जी से था। लोक निर्माण विभाग के मंत्री सुब्रत बख्शी ने ममता के लिए यह सीट छोड़ी थी।

एक अन्य विधानसभा सीट बसीरहाट (उत्तर) पर रविवार को हुए उपचुनाव में भी तृणमूल ने बाजी मारी। तृणमूल के ए. टी. एम. अब्दुल्ला ने यहां से माकपा के सुबिद अली गाजी को हराया। माकपा विधायक मुस्तफा बिन कासिम द्वारा विधायक आवास में छत से कूदकर कर कथित रूप से आत्महत्या कर लिए जाने के बाद यहां उपचुनाव कराया गया।

पश्चिम बंगाल निर्वाचन आयोग में संयुक्त मुख्य निर्वाचन अधिकारी दिब्येन्दु सरकार ने कहा, “तृणमूल कांग्रेस ने बसीरहाट (उत्तर) सीट जीत ली है। जीत का अंतर 30,900 मतों से भी अधिक रहा।”

दोनों विधानसभा क्षेत्रों में मतदान 25 सितम्बर को हुआ था। भवानीपुर में जहां 49.32 वोट पड़े, वहीं बसीरहाट (उत्तर) में 80 प्रतिशत मतदान हुआ।

उप चुनावों के बाद 294 सीटों वाली विधानसभा में अब तृणमूल कांग्रेस के सदस्यों की संख्या बढ़कर 185 हो गई है। वहीं माकपा के विधायकों की संख्या घटकर 39 हो गई और वाम मोर्चा के पास विधानसभा में कुल 61 सदस्य हैं।

वहीं, कलकत्ता उच्च न्यायालय ने पश्चिम बंगाल सरकार की सिगूर भूमि कानून को चुनौती देने वाली टाटा मोटर्स की याचिका खारिज कर दी। न्यायालय ने कहा कि कानून संवैधानिक और वैध है। न्यायालय के इस फैसले ने राज्य सरकार को एक बड़ी राहत दी है।

न्यायाधीश इंद्र प्रसन्ना मुखर्जी ने फैसला सुनाते हुए सिंगूर भूमि पुनर्वास एवं विकास कानून के तहत राज्य सरकार द्वारा उठाए गए कदमों को वैध ठहराया।

न्यायाधीश ने कहा, “जिस कानून के तहत भूमि का अधिग्रहण किया गया वह कानून भूमि का इस्तेमाल सार्वजनिक उद्देश्य के लिए प्रेरित करता है यानी भूमि का उपयोग सामाजिक-आर्थिक विकास और आने वाली पीढ़ियों को रोजगार देने में होना चाहिए जबकि याचिकाकर्ता ऐसा नहीं कर सका।”

न्यायालय ने यह भी कहा कि मुआवजे से सम्बंधित सिंगूर कानून का प्रारूप ‘अस्पष्ट एवं अनिश्चित’ हैं हालांकि इसमें मुआवजे के भुगतान की मंशा जाहिर की गई है। इसलिए याचिकाकर्ता मुआवजा पाने का हकदार है और भूमि अधिग्रहण कानून की धारा 23 एवं 24 के हिसाब से उसे मुआवजा मिलना चाहिए।

न्यायाधीश ने मामले में दो नवम्बर तक बिना शर्त यथास्थिति बनाए रखने का आदेश दिया और दोनों पक्षों को किसी कानूनी समाधान तक पहुंचने के लिए पर्याप्त समय दिया।

बनर्जी ने अदालत के फैसले का स्वागत किया है। इसे ‘लोगों की जीत’ बताते हुए उन्होंने कहा कि इससे किसानों को भूमि लौटाने का मार्ग प्रशस्त होगा।

अदालत के फैसले पर ममता बनर्जी ने कहा, “यह न केवल सिंगूर या देश, बल्कि पूरी दुनिया के लिए ऐतिहासिक अवसर है। सिंगूर आंदोलन हमेशा दुनिया के लिए लोगों के संघर्ष और उनकी जीत का उदाहरण बना रहेगा।”

इस बीच, उप चुनावों में मिली ममता को जीत पर प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, केंद्रीय वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी और पश्चिम बंगाल के राज्यपाल एम.के. नारायणन ने उन्हें बधाई दी।

अपनी संयुक्त राष्ट्र की यात्रा से मंगलवार रात स्वदेश लौटे प्रधानमंत्री ने बनर्जी को भारी मतों से जीत दर्ज करने पर बधाई दी।

वहीं, मुखर्जी ने कहा कि परिणाम बताते हैं कि बनर्जी ने पिछले चार महीनों में जो काम किया है उसमें लोगों ने अपना भरोसा जताया है।

केंद्रीय वित्त मंत्री ने पत्रकारों से कहा, “मैं उन्हें बधाई देता हूं। मुख्यमंत्री कार्यालय सम्भालने के बाद बनर्जी ने जो कदम उठाए हैं यह उनकी जीत का संकेत है।”

राज्यपाल नारायणन ने मुखर्जी को बधाई देते हुए कहा कि यह ‘शानदार खबर’ है।

उन्होंने कहा, “यह शानदार खबर है इससे ज्यादा मैं क्या कह सकता हूं।”

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