कोच्चि ।। केरल उच्च न्यायालय की एक खण्डपीठ ने मुख्यमंत्री ओमन चांडी के खिलाफ सतर्कता न्यायालय की एक टिप्पणी को अमान्य घोषित करते हुए कहा कि ताड़ के तेल के आयात मामले में छह महीने के भीतर दोबारा जांच पूरी की जाए। 

उच्च न्यायालय ने सतर्कता न्यायाधीश पी.के. हनीफा द्वारा की गई टिप्पणी को हटाने के लिए कहा, जिन्होंने सतर्कता रिपोर्ट खारिज कर दी थी और मामले की फिर से जांच करने के आदेश दिए थे। इस रिपोर्ट में चांडी को क्लीन चिट दी गई थी। उच्च न्यायालय ने चांडी को अक्टूबर में क्लीन चिट दी थी। 

राज्य सरकार ने 1992 में 15,000 टन ताड़ के तेल का आयात किया था। इस सम्बंध में मामला 1999 में तब दर्ज किया गया था, जब राज्य में ई.के. नयनार के नेतृत्व में कम्युनिस्टों की सरकार बनी थी। 

सतर्कता विभाग ने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि मामले में चांडी के खिलाफ कुछ नहीं है। 

पूर्व मुख्यमंत्री के.करुणाकरण, तत्कालीन खाद्य मंत्री टी.एच. मुस्तफा और नौकरशाह पी.जे. थॉमस व जिजी थॉम्पसन पर मलेशिया से अधिक कीमत पर तेल आयात कर 2.32 करोड़ रुपये का नुकसान करने का आरोप लगाया गया था। 

उच्च न्यायालय में शुक्रवार को यह मामला सुनवाई के लिए तब आया, जब थॉम्पसन ने यह कहते हुए उच्च न्यायालय से सम्पर्क किया था कि अंतहीन जांचों के कारण उनके करियर की सम्भावनाएं क्षीण हो गई हैं। उन्होंने न्यायालय से मांग की कि मामले की फिर से जांच बंद की जाए।

चांडी को एक और राहत तब मिली, जब न्यायालय ने नेता प्रतिपक्ष वी.एस. अच्युतानंदन और पूर्व विधायक के.जे.अलफोंसे को मामले में पक्षकार बनाने से इंकार कर दिया। न्यायालय ने कहा कि दोनों को पक्षकार बनाने का कोई कारण नहीं है। 

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