नई दिल्ली ।। दिल्ली उच्च न्यायालय ने मंगलवार को विकास यादव को कुछ कानूनी कागजातों पर हस्ताक्षर करने के लिए एक दिन का हिरासती पैरोल दे दिया। विकास यादव, नीतीश कटारा की 2002 में हुई हत्या के आरोप में आजीवन कारावास की सजा भुगत रहा है। न्यायालय ने विकास यादव से कहा है कि वह पैरोल की तारीख तय कर ले।

न्यायमूर्ति एस. रवींद्र भट्ट और न्यायमूर्ति प्रतिभा रानी की पीठ ने कहा, “यादव का वकील जेल प्रशासन और सरकारी वकील को सूचित करे कि वह किस तारीख को दस्तावेज पर हस्ताक्षर की कार्रवाई पूरी करना चाहते हैं।”

न्यायमूर्ति भट्ट ने कहा, “विकास यादव को एक दिन के लिए हिरासती पैरोल पर रिहा करने की अनुमति दी है। जेल अधीक्षक को निर्देश दिया जाता है कि वह यह सुनिश्चित कराए कि दस्तावेज पर हस्ताक्षर करने के बाद आवेदक उसी दिन जेल वापस लौट आए।”

न्यायालय ने नौ नवम्बर को यादव की उस याचिका को संज्ञान में लिया, जिसमें उसने कहा था कि सम्पत्ति सम्बंधी कुछ दस्तावेजों पर उसके हस्ताक्षर की जरूरत है, और इसके साथ ही न्यायालय ने अभियोजन से अपना जवाब सौंपने के लिए कहा था।

सरकारी वकील दयन कृष्णन ने मंगलवार को अपने जवाब में कहा कि यह स्पष्ट नहीं है कि यादव को कागजातों पर हस्ताक्षर के लिए चार दिन क्यों चाहिए। वकील ने कहा, “यह काम एक दिन में किया जा सकता है।”

इस पर यादव के वकील विकास पाहवा ने कहा कि उनके मुवक्किल को पॉवर ऑफ अटार्नी की औपचारिकताएं पूरी करनी है, अपने भाई को अधिकार देने हैं, क्योंकि सम्बंधित सम्पत्ति उसके और उसकी मां के नाम पर है। 

पाहवा ने आगे कहा कि यदि किसी कारणवश औपचारिकताएं एक दिन में पूरी नहीं हो सकीं, तो उसे और समय की जरूरत होगी। 

इस पर पीठ ने कहा, “यदि काम एक एक दिन में पूरा नहीं हुआ, तो आप दोबारा न्यायालय से सम्पर्क कर सकते हैं।”

इसके पहले नौ नवम्बर को नीतीश कटारा की मां नीलम कटारा ने कहा था, “विकास यादव और विशाल यादव इस तरह के आवेदन दाखिल कर हमेशा इस तरह की राहत चाहते रहते हैं।”

नीलम कटारा ने कहा, “मेरे पास एक ऐसा दस्तावेज है, जिससे पता चलता है कि यादव बंधु बड़ी आसानी से अस्पताल जाते रहे हैं। विकास और विशाल यादव, फरवरी 2010 से अबतक 66 बार अस्पताल जा चुके हैं।”

नीलिमा कटारा ने कहा कि मई 2008 और फरवरी 2010 के बीच दोनों भाई 85 बार अस्पताल जा चुके हैं। 

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