नई दिल्ली ।। भारत दक्षिण-पूर्व एवं पूर्वी एशियाई देशों के संग सम्बंध प्रगाढ़ बनाने की नीति यानी ‘लुक ईस्ट पॉलिसी’ के तहत 26 जनवरी 2012 को गणतंत्र दिवस की परेड पर मुख्य अतिथि के तौर पर थाईलैंड की प्रथम महिला प्रधानमंत्री यिंगलक शिनावात्रा की मेजबानी करेगा। 

यह लगातार तीसरी बार हो रहा है जब भारत ने पूर्वी एशियाई देश के नेता को गणतंत्र दिवस की परेड पर मुख्य अतिथि के तौर पर आमंत्रित किया है। भारत यह सम्मान उन देशों को देता है जिनके साथ वह कूटनीतिक एवं आर्थिक सम्बंध प्रगाढ़ करना चाहता है। इस वर्ष भारत ने इंडोनेशिया के राष्ट्रपति सुसिलो बाम्बांग युद्धयोनो को और पिछले वर्ष दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति ली म्यांग-बाक को गणतंत्र दिवस पर मुख्य अतिथि के तौर पर आमंत्रित किया था।

यिंगलक, ब्रिटेन की महारानी एलिजाबेथ द्वितीय के बाद पिछले 50 वर्षो में दूसरी शासनाध्यक्ष अथवा राष्ट्राध्यक्ष हैं जिन्हें यह सम्मान दिया गया है।

पेशे से उद्यमी यिंगलक थाईलैंड की सबसे कम उम्र की प्रधानमंत्री हैं। उनकी यात्रा ऐसे समय पर हो रही है जब दोनों देश व्यापार, प्रत्यर्पण व नागरिक एवं व्यापारिक मुद्दों पर कानूनी सहायता जैसे अनेक मुद्दों पर समझौते के लिए कड़ी मेहनत कर रहे हैं। अधिकारियों को उम्मीद है कि इनमें से कुछ समझौतों पर हस्ताक्षर हो जाएंगे।

अगले वर्ष तक दोनों देशों के मध्य द्विपक्षीय व्यापार के 10 अरब डॉलर तक पहुंचने की उम्मीद है। भारतीय कम्पनियों ने थाईलैंड में दो अरब डॉलर का निवेश किया है। जबकि थाईलैंड की कम्पनियों ने भारत में एक अरब डॉलर तक निवेश किया है।

दोनों देश महत्वाकांक्षी त्रिपक्षीय राजमार्ग परियोजना पर भी गहनता से विचार कर रहे हैं जो म्यांमार से होकर दोनों देशों को जोड़ेगी। इससे भारत के पूर्वी एशियाई देशों के साथ सम्बंधों मजबूती आएगी।

यिंगलक की यात्रा से भारत के दक्षिण पूर्व एवं पूर्वी एशिया के साथ बढ़ रहे सम्बंधों को भी बल मिलेगा। थाई प्रधानमंत्री की इस यात्रा पर चीन की भी पैनी नजर रहेगी। चीन दक्षिण-पूर्व एवं पूर्वी एशिया के साथ भारत के बढ़ते कूटनीतिक एवं आर्थिक सम्बंधों के कारण चौकन्ना है।

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