नई दिल्ली, Hindi7.com ।। अलग तेलंगाना राज्य की मांग ने कांग्रेस को परेशानी में डाल रखा है। पार्टी के 10 सांसदों और 39 विधायकों ने इस्तीफा दे दिया है। इसमें से 11 राज्य सरकार में मंत्री थे। नये राज्य की मांग को लेकर सांसदों-विधायकों के इस्तीफे से झटका खाई कांगेस और सरकार के हाथ-पांव फूल गए हैं।
इस समस्या का सर्वमान्य समाधान कांग्रेस को नजर नहीं आ रहा। कांग्रेस के अलावा तेलगू देशम पार्टी के भी 34 विधायकों ने इस्तीफा दे दिया है।
तेलंगाना संकट पर गृहमंत्री पी. चिदंबरम ने कहा कि “तेलंगाना पर सरकार ने अभी अंतिम फैसला नहीं किया है। यह बहुत ही पेचीदा व संवेदनशील मामला है। वहां के सांसदों-विधायकों को संयम बरतना चाहिए”। इन्होंने कहा कि नौ दिसंबर 2009 को तेलंगाना के गठन पर बयान के बाद, सरकार ने 23 दिसंबर 2009 को ही स्पष्ट कर दिया था कि इस पर अभी और विचार-विमर्श करने की जरूरत है। यह प्रक्रिया अभी भी जारी है।
कांग्रेस प्रवक्ता शकील अहमद ने इस मामले में पत्रकारों के कई बार सवाल पूछने पर सिर्फ इतना ही कहा कि “तेलंगाना का मुद्दा संवेदनशील व भावनात्मक है। ऐसा न होता, तो निर्णय लेना आसान होता। पार्टी को वस्तुस्थिति की जानकारी है। उम्मीद है कि सही समय पर सही फैसला होगा। इससे ज्यादा मैं कुछ नहीं कह सकता”।
सूत्रों के मुताबिक, प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में सोमवार को राजनीतिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति की बैठक में 1975 के उस प्रेसीडेंशियल आर्डर के पैरा-14 के उपबंध-एफ को हटाने का फैसला किया गया है, जो हैदराबाद क्षेत्र यानी तेलंगाना की सरकारी नौकरियों, खासतौर से पुलिस में सभी की भर्ती की आजादी देता है।
अगर इस उपबंध को हटा लिया जाता है, तो पुलिस की नौकरियों में हैदराबाद व तेलंगाना क्षेत्र के निवासियों को प्राथमिकता मिलने लगेगी। माना जा रहा है कि सरकार इस उपबंध को खत्म करने के लिए राष्ट्रपति को अपनी सिफारिश भेजेगी।
सरकार अलग तेलंगाना राज्य बनाने के मामले में फिलहाल कोई फैसला नहीं लेना चाहती। इसी कारण से वह किसी नये रास्ते की तलाश में है, ताकि तेलंगाना मामले को शांत किया जा सके।