श्रीनगर ।। जम्मू एवं कश्मीर विधानसभा में विपक्षी पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) ने सोमवार को जमकर हंगाम किया। पीडीपी ने सत्ताधारी नेशनल कांफ्रेंस के एक कार्यकर्ता की पिछले सप्ताह कथित रूप से हिरासत में हुई मौत को लेकर मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला से इस्तीफे की मांग की।
हंगामा इतना बढ़ गया कि एक विपक्षी सदस्य ने विधानसभा अध्यक्ष की ओर टेबल फैन उछाला, जबकि अन्य सदस्यों ने माइक उखाड़े और कागजात फाड़ डाले। यहां तक कि विधानसभा अध्यक्ष और एक विपक्षी नेता के बीच गालीगलौच तक की नौबत आ गई।
हंगामे की इस स्थिति के कारण विधानसभा की कार्यवाही तीन बार स्थगित करनी पड़ी, और अंतिम बार दिन भर के लिए कार्यवाही स्थगित कर दी गई। मुख्यमंत्री उमर सबकुछ चुपचाप शांत भाव से देखते रहे।
विधानसभा की बैठक सुबह जैसे ही शुरू हुई, पीडीपी नेता महबूबा मुफ्ती ने स्थगन प्रस्ताव पेश करना चाहा। वह चाहती थी कि प्रश्नकाल स्थगित कर हाजी मुहम्मद यूसुफ की 30 सितम्बर को हिरासत में हुई मौत पर बहस कराई जाए।
विधानसभा अध्यक्ष मुहम्मद अकबर लोन ने कहा, “इस मामले पर फिलहाल कोई बहस उचित नहीं होगा और यह अलबत्ता नुकसानदायक साबित हो सकता है, क्योंकि राज्य सरकार ने मामले की जांच के लिए उच्च न्यायालय के एक सेवारत न्यायाधीश की नियुक्ति करने के लिए मुख्य न्यायाधीश से अनुरोध किया है।”
बाद में विधानसभा अध्यक्ष की पीडीपी के मौलवी इफ्तेखार हुसैन अंसारी से गरमागरम बहस शुरू हो गई। इस दौरान सदन में असंसदीय आचरणों के अभूतपूर्व दृश्य देखने को मिले।
शुरू में विधानसभा अध्यक्ष ने दो बार कार्यवाही स्थगित की। और दूसरे स्थगन के बाद जब सदन की बैठक शुरू हुई तो उन्होंने पूर्व की घटनाओं पर खेद जताया।
पीडीपी नेता मुजफ्फर हुसैन बेग ने विधानसभा अध्यक्ष के इंकार पर कुछ प्रश्न खड़े करना चाहा, लेकिन कई मंत्रियों सहित सत्ता पक्ष के सदस्य विरोध में अपनी सीटों से खड़े हो गए और सदन की कार्यवाही दूसरी बार स्थगित करनी पड़ी।
जब सदन की बैठक तीसरी बार शुरू हुई, तो विधानसभा अध्यक्ष ने अंसारी के खिलाफ अपनी टिप्पणी के लिए खेद प्रकट किया, और उसे सदन की कार्यवाही में शामिल न करने का निर्देश दिया।
लोन ने कहा, “शुरुआत में जो कुछ हुआ मुझे उसका खेद है। अंसारी साहिब से हमारे करीबी सम्बंध हैं और वह मुझे नमाज पढ़ाते हैं। टिप्पणियों को कार्यवाही से निकाल दिया जाए और मीडिया से अनुरोध है कि वह टिप्पणियों को प्रसारित न करे।”
पीडीपी अध्यक्ष महबूबा ने संवाददाताओं से कहा कि कथितरूप से हिरासत में हुई मौत के मामले में संदेह की सूई मुख्यमंत्री, उनके पिता केंद्रीय मंत्री फारुक अब्दुल्ला, और कनिष्ठ गृह मंत्री नासिर असलम वानी की ओर उठ रही है।
महबूबा ने कहा, “स्थिति यह सामने आई है कि उमर पूछताछकर्ता, न्यायाधीश और सजा देने वाले बन गए हैं। इसलिए जबतक वह सत्ता में हैं, इस मामले की निष्पक्ष जांच सम्भव नहीं है।”
नेशनल पैंथर्स पार्टी के विधायक बलवंत सिंह मकोतिया ने यूसुफ की रहस्यमय मौत की केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) से जांच कराने की मांग की।
तीसरे स्थगन के बाद जब सदन की बैठक शुरू हुई, तो पीडीपी विधायक फिर से मांग करने लगे कि उनके नेता और पूर्व उपमुख्यमंत्री बेग को सदन में अपना बयान देने की अनुमति दी जाए।
जब विधानसभा अध्यक्ष ने इसकी अनुमति नहीं दी तो पीडीपी सदस्य विधानसभा अध्यक्ष के आसन के पास पहुंच गए और नारेबाजी करने लगे। हंगामा जारी रहने पर सदन की कार्यवाही दिनभर के लिए स्थगित कर दी गई।
ज्ञात हो दक्षिण कश्मीर के बिजबेहरा कस्बा निवासी जमीन व्यापारी, यूसुफ की 30 सितम्बर को पुलिस हिरासत में मौत हो गई थी। यूसुफ को पार्टी के दो मध्यम दर्जे के नेताओं सहित पूछताछ के लिए हिरासत में लिया गया था। पार्टी के इन दोनों नेताओं ने आरोप लगाया था कि यूसुफ ने उनमें से एक को मंत्री पद दिलाने तथा एक को विधायक की कुर्सी दिलाने के लिए उनसे 1.18 करोड़ रुपये रिश्वत ली थी।
सरकार का कहना है कि यूसुफ की स्थानीय पुलिस अस्पताल में हृदयाघात के कारण मौत हुई है। लेकिन पीडीपी का आरोप है कि यूसुफ की मौत मुख्यमंत्री के घर बुलाए जाने के बाद रहस्यमय स्थितियों में हुई है।