नई दिल्ली ।। केंद्रीय संचार मंत्री कपिल सिब्बल ने तत्कालीन केंद्रीय वित्त मंत्री पी. चिदम्बरम के खिलाफ जनता पार्टी के अध्यक्ष सुब्रहण्यम स्वामी द्वारा लगाए गए आरोपों का दृढ़ता से खंडन किया है।
स्वामी ने आरोप लगाया है कि नई कम्पनियों के लिए प्रवेश शुल्क तय करने में चिदम्बरम की भूमिका थी जिस कारण 2जी घोटाले में उनके खिलाफ मुकदमा चलाया जाना चाहिए।
सिब्बल ने कहा कि विपक्ष चिदम्बरम को बदनाम कर रहा है। उन्होंने कहा कि नई कम्पनियों को आशय का पत्र जारी करने या 1650 करोड़ रुपये का प्रवेश शुल्क तय करने में वित्त मंत्री के रूप में उनकी कोई भूमिका नहीं थी।
उन्होंने कहा, “प्रवेश शुल्क तय करने या आशय का पत्र जारी करने में चिदम्बरम की भूमिका बताना निर्थक है।” उन्होंने कहा कि सही मायने में चिदम्बरम ने प्रवेश शुल्क बढ़ाने का सुझाव दिया था जिसे ए. राजा ने स्वीकार नहीं किया।
स्वामी ने 2जी घोटाले में चिदम्बरम को एक पक्ष बनाने की मांग की है। उनका कहना है कि वर्ष 2008 में स्पेक्ट्रम कीमत के बारे में तत्कालीन संचार मंत्री ए. राजा और चिदम्बरम ने संयुक्त रूप से फैसला लिया। राजा तिहाड़ जेल में बंद हैं।
केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) की विशेष अदालत ने स्वामी को एक गवाह के तौर पर पेश होकर 2जी मामले में केंद्रीय गृह मंत्री चिदम्बरम की भूमिका सम्बंधी दावे को साबित करने की अनुमति दे दी है।
राजा के कार्यकाल में संचार विभाग ने 10 जनवरी 2008 को आशय का पत्र जारी किया जिस बारे में भी चिदम्बरम को पता नहीं था।
उन्होंने कहा कि सच्चाई यह है कि सीबीआई ने वित्त मंत्री रहते हुए चिदम्बरम के बारे में कुछ भी गलत नहीं पाया है।
सिब्बल ने कहा, “इसलिए विपक्ष द्वारा चिदम्बरम पर किसी तरह को दोष थोपना न केवल गैरजिम्मेदराना है बल्कि यह संसदीय लोकतंत्र को काम करने से रोकने की एक और कोशिश है।”
उन्होंने कहा, “चिदम्बरम हमारे अहम सहयोगी है और बिना किसी भय या पक्षपात के और एकाग्रता और समर्पण से अपनी जिम्मेदारियों का निर्वाहन करते हैं।”