नई दिल्ली ।। विपक्षी पार्टियों ने बुधवार को प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से केंद्रीय वित्त मंत्रालय की उस टिप्पणी की जांच कराने का आदेश देने की मांग की जिसमें कहा गया कि यदि वर्ष 2008 में केंद्रीय वित्त मंत्री रहे पी. चिदम्बरम अपने ‘रुख पर अड़ जाते’ तो स्पेक्ट्रम की नीलामी हो सकती थी।

भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नेता रवि शंकर प्रसाद ने पत्रकारों से कहा कि ‘चिदम्बरम के खिलाफ आरोप जो पहले विपक्षी पार्टियों ने उठाए थे अब सरकार के भीतर से उठने लगे हैं।’

प्रसाद ने कहा, “यदि प्रधानमंत्री अपने ही शब्दों पर कायम हैं तो उन्हें चिदम्बरम की भूमिका की जांच का आदेश देना चाहिए जो कि उस समय केंद्रीय वित्त मंत्री थे।”

वहीं, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा) के राष्ट्रीय सचिव डी. राजा ने कहा कि केंद्रीय वित्त मंत्रालय की टिप्पणी को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।

भाकपा नेता ने कहा कि यहां तक कि जेल में बंद पूर्व केंद्रीय दूरसंचार मंत्री ए. राजा ने चिदम्बरम को गवाह के रूप में बुलाए जाने की मांग की।

ज्ञात हो कि इस टिप्पणी का पता सूचना का अधिकार कानून के जरिए प्रधानमंत्री कार्यालय से पूछे गए एक सवाल से चला। सामाजिक कार्यकर्ता विवेक गर्ग ने प्रधानमंत्री कार्यालय में सूचना का अधिकार कानून के जरिए सवाल पूछा था।

ऐसा साफ तौर पर लगता है कि इस टिप्पणी को केंद्रीय वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी ने देखा है। टिप्पणी वित्त मंत्रालय के उप सचिव ने तैयार की थी और इसे गत 25 मार्च को प्रधानमंत्री कार्यालय को भेजा गया था।

राजनीतिक रूप से यह टिप्पणी ऐसे समय में सामने आई है, जब जनता पार्टी के अध्यक्ष सुब्रह्मण्यम स्वामी ने सर्वोच्च न्यायालय में कथित तौर पर चिदम्बरम की 2जी मामले में मूल्य निर्धारण में संलिप्तता साबित करने वाले दस्तावेज सौंपे हैं।

स्वामी ने बुधवार को न्यायमूर्ति जी.एस. सिंघवी और न्यायमूर्ति ए.के. गांगुली की पीठ के समक्ष दस्तावेज प्रस्तुत किए। यह पीठ स्वामी की याचिका की सुनवाई कर रही है, जिसमें स्वामी ने चिदम्बरम की भूमिका की जांच केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) से कराने की मांग की।

Rate this post

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here