नई दिल्ली ।। गांधीवादी अन्ना हजारे व उनके सहयोगियों द्वारा जंतर-मंतर पर लोकपाल विधेयक के सिलसिले में आयोजित बहस में भाग लेने वाले राजनीतिक दलों की कांग्रेस द्वारा की गई आलोचना पर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने कड़ा एतराज जताया है। 

केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री अम्बिका सोनी ने यहां पत्रकारों से चर्चा में कहा कि लोकपाल विधेयक पर संसद के बाहर चर्चा करना स्वीकार्य नहीं है।

उन्होंने कहा, “लोकतंत्र में हर विषय पर चर्चा व बहस के लिए एक मंच है। इसके लिए संसद सर्वोत्तम है। संसद के बाहर मुद्दों को उठाकर विपक्ष ने अपना दोहरा मानदंड दिखा दिया है। यह स्वीकार्य नहीं है। हम जब संसद के बाहर बोलते हैं तो वे कहते हैं कि यह संसदीय परम्परा के विरूद्ध है।”

सोनी ने कहा कि हम मजबूत लोकपाल चाहते हैं लेकिन इस बारे में चर्चा संसद में होनी चाहिए।

केंद्रीय कानून मंत्री सलमान खुर्शीद ने कहा, “संसदीय लोकतंत्र बहस पर आधारित है और हर मुद्दे पर बहस होनी चाहिए।”

केंद्रीय नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री फारुक अब्दुल्ला ने कहा, “संसद सर्वोच्च है इसलिए उन्हें अपने विचार संसद में रखने चाहिए।”

बहरहाल, सत्ताधरी दलों के नेताओं की इस आलोचना को विपक्ष ने खारिज कर दिया।

भाजपा प्रवक्ता रविशंकर प्रसाद ने सोमवार को पत्रकारों से बातचीत में कहा, “हम सभी संसद का सम्मान करते हैं। जितने भी नेता वहां गए थे, उन्होंने साफ शब्दों में कहा कि कानून सिर्फ संसद ही बन सकता है।”

प्रसाद ने कहा, “साथ ही यह भी महत्वपूर्ण है कि देश की जनता, सरकार में हो रहे भ्रष्टाचार से त्रस्त हो चुकी है। ऐसे में नेता वहां यदि उनसे बातचीत के लिए चले गए तो इसमें गलत क्या है।”

उन्होंने कहा, “जहां तक संसद की गरिमा का सवाल है, इस बारे में हमें कांग्रेस से सीखने की जरूरत नहीं है।”

उल्लेखनीय है कि जंतर-मंतर पर हुई बहस में भाजपा के अरुण जेटली, जनता दल (युनाइटेड) के शरद यादव, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा) के ए. बी. बर्धन, मार्क्‍सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) की वृंदा करात, बीजू जनता दल (बीजद) के पिनाकी मिश्रा, ऑल इंडिया अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (एआईएडीएमके) के के. येरेन नायडू और समाजवादी पार्टी (सपा) के रामगोपाल यादव ने हिस्सा लिया था।

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