नई दिल्ली ।। खुदरा क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) की इजाजत को लेकर उत्पन्न गतिरोध को दूर करने के लिए राजधानी में बुधवार को कांग्रेस कोर समूह की बैठक हुई, जिसमें प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी सहित शीर्ष नेताओं ने भाग लिया। 

प्रधानमंत्री आवास 7, रेस कोर्स में करीब दो घंटे तक चली बैठक के परिणामों की जानकारी नहीं मिल पाई है। 

बैठक में केंद्रीय वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी, रक्षा मंत्री ए.के. एंटनी, केंद्रीय गृह मंत्री पी. चिदम्बरम, केंद्रीय वाणिज्य मंत्री आनंद शर्मा व सोनिया के राजनीतिक सचिव अहमद पटेल ने हिस्सा लिया। 

इस बैठक से पहले मुखर्जी ने बुधवार को इस मुद्दे पर पार्टी के सांसदों के साथ चर्चा की। 

सरकार के संकटमोचक माने वाले मुखर्जी ने बहु ब्रांड खुदरा क्षेत्र में 51 प्रतिशत एफडीआई व एकल ब्रांड में 100 प्रतिशत एफडीआई पर पार्टी सांसदों की आशंकाओं को दूर करने के लिए उनसे मुलाकात से पहले 10 जनपथ पर सोनिया से भी मुलाकात की।

कांग्रेस सूत्रों ने बताया कि मुखर्जी ने केंद्र सरकार के निर्णय का दृढ़ता से बचाव किया और पार्टी सांसदों से इसका विरोध न करने के लिए कहा। उनका कहना था कि राष्ट्रहित में यह फैसला लिया गया।

उत्तर प्रदेश से कांग्रेस के सांसद संजय सिंह ने मंगलवार को केंद्र सरकार की आलोचना की थी। उनका कहना था कि सरकार के इस कदम से गरीबों को परेशानी होगी। उन्होंने कहा था कि उत्तर प्रदेश में होने वाले विधानसभा चुनावों के मद्देनजर यह इस फैसले के लिए उचित समय नहीं था।

केरल कांग्रेस के अध्यक्ष रमेश चेन्नीथाला ने प्रधानमंत्री को एक पत्र लिखकर सरकार के इस फैसले के प्रति विरोध जताया था। उन्होंने केरल के मुख्यमंत्री ओमान चांडी से राज्य में खुदरा क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश का फैसला लागू न करने की अपील की थी।

केंद्र सरकार के इस फैसले का विपक्षी दल तो विरोध कर ही रहे हैं, साथ ही सत्तारूढ़ संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार के मुख्य सहयोगी भी इसके पक्ष में नहीं हैं।

इस मुद्दे पर संसद में लगातार गतिरोध बना हुआ है। 22 नवंबर से शुरू हुए संसद के 21 दिन के शीतकालीन सत्र के शुरुआती सात दिनों में खुदरा क्षेत्र में एफडीआई व अन्य मुद्दों पर गतिरोध के चलते कोई काम नहीं हो सका है।

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