नई दिल्ली ।। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने खुदरा कारोबार में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) के मुद्दे पर विचार करने के लिए गुरुवार को सरकार की सहयोगी पार्टियों से मुलाकात की जबकि इसी मुद्दे पर संसद की कार्यवाही गुरुवार को भी ठप्प रही।
इस मसले पर सत्ताधारी संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) के सहयोगियों के बीच व्याप्त मतभेद मिटाने के लिए प्रधानमंत्री ने उनसे भेंट की। केंद्र में सत्ताधारी गठबंधन की कई सहयोगी पार्टियों जैस डीएमके, तृणमूल कांग्रेस और इंडियन युनियन मुस्लिम लीग (आईयूएमएल) ने खुदरा कारोबार में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के विरुद्ध बयान दिए हैं।
मुलाकात प्रधानमंत्री के आवास पर हुई और इसमें नेशनल कांफ्रेंस के फारूख अब्दुल्ला, तृणमूल कांग्रेस के सुदीप बंदोपाध्याय, डीएमके के टी.आर. बालू और आईयूएमएल के ई. अहमद तथा केंद्रीय वाणिज्य मंत्री आनंद शर्मा उपस्थित हुए।
जानकार सूत्रों के मुताबिक यदि इस विषय पर संसद में मतदान होता है, तो तृणमूल कांग्रेस मतदान में हिस्सा नहीं लेगी, लेकिन डीएमके ने अपना रुख स्पष्ट नहीं किया है।
तृणमूल कांग्रेस के नेता और रेल मंत्री दिनेश त्रिवेदी ने संसद भवन से बाहर संवाददाताओं से कहा कि उनकी पार्टी एफडीआई के विरुद्ध है।
उन्होंने कहा, “हम देश का हित चाहते हैं। हम आम आदमी की बात करते हैं। जो भारत के लिए अच्छा है, वह दुनिया के दूसरे हिस्से के लिए अच्छा नहीं भी हो सकता है। इसी तरह जो दुनिया के दूसरे हिस्से के लिए अच्छा है वह भारत के लिए अच्छा नहीं भी हो सकता है।”
इस बीच विपक्षी पार्टियों ने खुदरा क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के खिलाफ अपना विरोध जारी रखा। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने कहा कि वह स्थनगन प्रस्ताव में लिखी गई विषयवस्तु के साथ समझौता नहीं कर सकती, वहीं वामपंथी पार्टी ने कहा सरकार संसद की कार्यवाही के प्रति गम्भीर नहीं है।
भाजपा नेता राजीव प्रताप रूडी ने संसद भवन के बाहर संवाददाताओं से कहा, “हम कार्यस्थगन प्रस्ताव में लिखी गई बातों के साथ समझौता नहीं कर सकते हैं।”
मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के नेता सीताराम येचुरी ने कहा कि सरकार अपनी गलती सुधारने को तैयार नहीं है।