लखनऊ ।। उत्तर प्रदेश को चार भागों में विभाजित करने के बहुजन समाज पार्टी (बसपा) सरकार के प्रस्ताव को विरोधी दलों ने चुनावी कदम करार देते हुए कहा है कि मुख्यमंत्री मायावती ने भ्रष्टाचार से जनता का ध्यान हटाने के लिए नया शिगूफा छोड़ दिया है।

समाजवादी पार्टी (सपा)के प्रदेश अध्यक्ष अखिलेश यादव ने संवाददाताओं से कहा कि मायावती सरकार को कार्यकाल के पहले दिन विभाजन की बात क्यों नहीं याद आई। साढ़े चार साल तक उत्तर प्रदेश को लूटने के बाद जब कुछ नहीं बचा तो राज्य के विभाजन का शिगूफा छोड़ दिया।

यादव ने कहा, “विभाजन से विकास नहीं होता है। क्या विभाजन से महंगाई कम होगी, क्या खाद की समस्या हल होगी, क्या युवाओं को रोजगार का अवसर मिलेगा। सपा विभाजन का विरोध करेगी।”

कांग्रेस की उत्तर प्रदेश इकाई के वरिष्ठ नेता प्रमोद तिवारी ने कहा कि चुनाव होने में बस कुछ दिन ही रह गए हैं। ऐसे में मायावती सरकार विभाजन का प्रस्ताव ला रही है। इसका कोई मतलब नहीं है। यह एक राजनीतिक स्टंट के सिवा कुछ नहीं है।

तिवारी ने कहा, “कांग्रेस छोटे राज्यों की पक्षधर रही है। राज्य बनते हैं जनता की सुविधा के लिए समस्याओं के लिए नहीं। केंद्र सरकार द्वितीय पुनर्गठन आयोग गठित करे और उसकी टीम यहां आए और वह सारी बातों पर सहमत हो तभी उत्तर प्रदेश सरकार को विभाजन का प्रस्ताव रखना चाहिए।” 

भारतीय जनता पार्टी (भाजपा)के प्रदेश अध्यक्ष सूर्य प्रताप शाही ने कहा कि मायावती सरकार का यह फैसला पूरी तरह से वोट बैंक की राजनीति से प्रेरित है। मायावती सरकार ने अपने साढ़े चार साल के भ्रष्टाचार से ध्यान हटाने के लिए विभाजन का शिगूफा छोड़ा है। 

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