पणजी/नई दिल्ली ।। गोवा विधानसभा की लोक लेखा समिति (पीएसी) विपक्ष के नेता मनोहर पर्रिकर की अध्यक्षता में राज्य में हुए अवैध खनन मामले की जांच कर रही है। सूत्रों का कहना है कि पीएसी ने 3,500 करोड़ रुपये के खनन घोटाले की रिपोर्ट में केवल एक राजनेता की ओर इशारा किया है न कि मुख्यमंत्री दिगम्बर कामत का नाम लिया है।

इस रिपोर्ट का कुछ हिस्सा मीडिया में लीक हो गया है। इस हिस्से में न तो कामत का नाम है और न ही मंत्रियों-जोआकिम एलीमाओ और विश्वजीत राणे का। कामत बीते 12 साल तक खनन मंत्री रहे हैं जबकि पर्रिकर अन्य मंचों पर जोआकिम व राणे का नाम अवैध खनन से जोड़ते रहे हैं।

एक सूत्र ने बताया, “अगर मामले में आपराधिक जांच हो तभी यह स्पष्ट हो सकेगा कि अवैध खनन में विभिन्न राजनेताओं की कितनी भागीदारी रही है।” सूत्र ने कहा कि पीएसी की रिपोर्ट में केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) या लोकायुक्त से घोटाले की जांच कराने की अनुशंसा की गई है।

केंद्रीय खनन मंत्री दिनशा पटेल ने दिल्ली में एक टीवी चैनल से कहा, “मैं अभी इस रिपोर्ट के सम्बंध में कुछ नहीं कह सकता क्योंकि अभी इसे पेश किया जाना है। मीडिया में आई खबरों से मुझे जो पता चला है उसके अनुसार पीएसी की रिपोर्ट में गोवा के मुख्यमंत्री का नाम नहीं है। मैं आपको आश्वासन दे सकता हूं कि इसमें गोवा सरकार का हाथ नहीं है।”

आधिकारिक सूत्रों के मुताबिक पीएसी की रिपोर्ट में उचित संदेह के आधार पर राजनेताओं की भागीदारी का संकेत दिया गया है।

एक सूत्र ने बताया रिपोर्ट में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के राष्ट्रीय सचिव जितेंद्र देशबंधु का नाम लिया गया है। अवैध खनन में देशबंधु की संलिप्तता के चलते गोवा अपराध शाखा ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया है।

रिपोर्ट में कहा गया है, “वर्तमान में अवैध खनन के कारण खराब होते पर्यावरण के लिए गोवा सरकार व सत्ता में बैठे राजनेता जिम्मेदार हैं।”

सूत्र ने कहा, “सत्ता में बैठे राजनेताओं की मदद से खनन निदेशालय व भारतीय खनन ब्यूरो गोवा में अवैध खनन को अंजाम दे रहे हैं।”

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