नई दिल्ली ।। संसद के शीतकालीन सत्र में लोकपाल विधेयक नहीं पारित किए जाने के बाद दोबारा अनशन शुरू करने की समाजसेवी अन्ना हजारे की चेतावनी के पीछे सरकार को कोई कारण नजर नहीं आता।

केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री अम्बिका सोनी ने मंगलवार को यहां संवाददाताओं से बातचीत में कहा कि सरकार भ्रष्टाचार के खिलाफ प्रभावी लोकपाल के लिए प्रतिबद्ध है। फिर इस तरह की चेतावनी का कोई अर्थ नहीं है।

अन्ना हजारे ने प्रधानमंत्री को लिखे पत्र में लोकपाल विधेयक पारित करने के लिए 21 दिसम्बर तक का समय दिया है। इस तिथि तक विधेयक पारित नहीं होने पर उन्होंने दोबारा अनशन की चेतावनी दी है।

इस पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए सोनी ने कहा, “मैं इसे लेकर सरकार पर दबाव बनाने का कोई कारण नहीं देखती, जबकि केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्री, कांग्रेस के नेता और स्वयं प्रधानमंत्री भ्रष्टाचार के खिलाफ लोकपाल जैसा प्रभावी कानून बनाने को लेकर कई बार प्रतिबद्धता जता चुके हैं।”

सोनी के मुताबिक, अन्ना हजारे और उनके सहयोगी कई बार कह चुके हैं कि लोकपाल विधेयक के पारित होने के लिए वे संसद के शीतकालीन सत्र तक इंतजार करेंगे। यह हाल ही में सम्पन्न हिसार संसदीय सीट के लिए हुए उप चुनाव में भी दोहराया जा चुका है।

कांग्रेस नेता ने कहा कि संसद की स्थाई समिति लोकपाल विधेयक के प्रारूप पर विचार कर रही है। इसे लेकर सामाजिक एवं राजनीतिक कार्यकर्ताओं से बातचीत की जा रही है। सरकार भी कई बार भ्रष्टाचार के खिलाफ कानून बनाने की प्रतिबद्धता जता चुकी है।

विदेशी बैंकों में जमा काले धन के सम्बंध में सोनी ने कहा कि सरकार इस बारे में सूचना जुटाने और विदेशी बैंकों के खाताधारकों का नाम हासिल करने के लिए सभी प्रयास कर रही है, जिसके लिए द्विपक्षीय संधि की जरूरत है। सरकार ने इस दिशा में कुछ कदम उठाए हैं।

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